नई दिल्ली। भारत की बड़ी आबादी एक विघटनकारी ताकत है और इस सहायक जनसंख्या के साथ सरकार के सुधारात्मक कदमों की मदद से भारतीय अर्थव्यवस्था वर्ष 2025 तक 5 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच जाएगी। यह अनुमान मोर्गन स्टेनली ने अपनी ताजा रिपोर्ट में जताया है।
नोमिनल जीडीपी के तौर पर भारत की 2.2 लाख करोड़ डॉलर वाली अर्थव्यवस्था दुनिया में सातवें स्थान पर है।
- पीपीपी के तौर पर भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
- इसकी तुलना में देश की प्रति व्यक्ति आय बहुत कम है।
- 1700 डॉलर प्रति व्यक्ति आय के साथ भारत प्रमुख उभरते बाजारों जैसे चीन, रूस, ब्राजील, इंडोनेशिया, फिलीपींस, मेक्सिको और टर्की से भी पीछे है।
- मोर्गन स्टेनली ने अपनी रिसर्च रिपोर्ट में कहा है कि,
- हमारा अनुमान है कि कई सहायक कारक, जैसे बड़ी जनसंख्या, सरकार के सुधारात्मक कदम और वैश्वीकरण की वजह से मध्यम अवधि में प्रोडक्टिव ग्रोथ होगी। इससे 2025 तक भारतीय अर्थव्यवस्था 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगी।
- मोर्गन स्टेनली का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2024-25 तक प्रति व्यक्ति आय 125 प्रतिशत बढ़कर 3,650 डॉलर हो जाएगी।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की 40 करोड़ युवा जनसंख्या दुनिया में सबसे बड़ी जनसंख्या है और इनके पास तकरीबन 180 अरब डॉलर की खर्च शक्ति है।
- स्मार्टफोन के अत्यधिक इस्तेमाल और हर जगह मोबाइल ब्रॉडबैंड इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद होने से अधिकांश कारोबार में विकास के लिए मददगार होगा।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की ओवरऑल ग्रोथ में जनसंख्या का एक बहुत बड़ा महत्व है।
- हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जीडीपी ग्रोथ को बढ़ाने में अकेले जनसंख्या एक कारक नहीं हो सकता है।
- यह महत्वपूर्ण है कि काम करने योग्य जनसंख्या पर्याप्त कुशल हो जो वैश्विक प्रतिस्पर्धी माहौल में भाग ले सके।
- इस युवा और बेहतर कुशल जनसंख्या के लिए पर्याप्त रोजगार अवसर उपलब्ध कराना अगला कदम होगा, जो कि भारत के लिए एक अवसर भी है और एक चुनौती भी।