नई दिल्ली। रेटिंग एजेंसी मूडीज इंवेस्टर्स सर्विस का अनुमान है कि 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट देखने को मिल सकती है। यह चार दशक में पहली बार होगा जब कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये जारी ‘लॉकडाउन’ (बंद) की वजह से खपत कम होने और कारोबारी गतिविधियां थमने से चुनौतियों का सामना कर रही घरेलू अर्थव्यवस्था में गिरावट आएगी। मूडीज के मुताबिक कोरोना वायरस संकट से पहले भी भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर धीमी पड़ गयी थी और यह छह वर्ष की सबसे निचली दर पर पहुंच गयी थी। सरकार द्वारा आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज में उठाए गए कदम उम्मीदों के अनुरूप नहीं हैं, अर्थव्यवस्था की समस्याएं इससे बहुत ज्यादा व्यापक हैं।
मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘‘ अब हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर में वास्तविक गिरावट आएगी। इससे पहले हमने वृद्धि दर शून्य रहने की संभावना जतायी थी।’’ हालांकि मूडीज ने 2021-22 में देश की अर्थव्यवस्था में सुधार होने की उम्मीद जतायी। यह उसके पूर्ववर्ती 6.6 प्रतिशत की वृद्धि दर के अनुमान से भी मजबूत रह सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कोविड-19 लॉकडाउन का भारतीय अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ने की संभावना है। यह सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्र को प्रभावित करेगा।
उल्लेखनीय है कि देश में 25 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा की थी गयी। तब से अब तक रियायतों के साथ इसकी मियाद चार बार बढ़ायी जा चुकी है। चौथा लॉकडाउन 31 मई तक लागू रहेगा। ‘लॉकडाउन’ से खासकर देश के असंगठित क्षेत्र के समक्ष संकट खड़ा हुआ है। इस क्षेत्र का जीडीपी में आधे से अधिक योगदान है। आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज के बारे में मूडीज ने कहा, ‘‘सरकार का सीधे तौर पर राजकोषीय प्रोत्साहन जीडीपी का एक से दो प्रतिशत के दायरे में रह सकता है। सरकर की ज्यादातर योजनाएं ऋण गारंटी या प्रभावित क्षेत्रों की नकदी चिंता को दूर करने से संबद्ध है।’ उसने कहा, ‘‘प्रत्यक्ष रूप से वित्तीय खर्च की मात्रा हमारी उम्मीदों से कहीं कम है और इसे वृद्धि को खास गति मिलने की संभावना कम है।