संयुक्त राष्ट्र। घरेलू मोर्चे पर सुधारों की धीमी रफ्तार को नजरंदाज करते हुए संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे गति पकड़ रही है और इस साल इसके 7.3 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान है। विश्व आर्थिक स्थिति और संभावना नामक इस रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2017 में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि 7.5 फीसदी रहने का अनुमान है और दक्षिण एशियाई क्षेत्र की आर्थिक संभावनाए भारत और ईरान की आर्थिक वृद्धि के ईद-गिर्द घूमती रहेंगी।
संयुक्त राष्ट्र में जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है, भारत की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे गति पकड़ रही है। वर्ष 2016 में इसकी जीडीपी वृद्धि 7.3 फीसदी और वर्ष 2017 में 7.5 फीसदी रहने का अनुमान है। घरेलू अर्थव्यवस्था में नीतिगत सुधार में कुछ विलंब और बैंकिंग प्रणाली की कमजोरी के बावजूद भारत में मौद्रिक नीति में सरलता, बढ़ते प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और ढांचागत सुविधाओं एवं सार्वजनिक निजी भागीदारी में निवेश को लेकर सरकार के प्रयासों से निवेश मांग को समर्थन मिल रहा है।
यह भी पढ़ें- अच्छे मानसून के साथ आठ फीसद की विकास दर पा सकता है भारत, किफायती अर्थव्यवस्था बनाना लक्ष्य: दास
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की वृद्धि 2015 में 6.9 फीसदी रही है और इसमें आगे भी नरमी का रख बने रहने का अनुमान है। वर्ष 2016 में चीन की जीडीपी वृद्धि 6.4 फीसदी और 2017 में 6.5 फीसदी रहने का अनुमान है। संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक एवं सामाजिक मामले विभाग और संयुक्त राष्ट्र के व्यापार एवं विकास सम्मेलन (अंकटाड) द्वारा संयुक्त रूप से तैयार इस रिपोर्ट में कहा गया है, चीन की अर्थव्यवस्था में अनुमान से भी ज्यादा बड़ी सुस्ती का व्यापार, वित्तीय और उपभोक्ता जिंस बाजारों पर व्यापक असर पड़ा है। उपभोक्ता जिंसों के दाम में किसी भी तरह की और गिरावट से इन जिंसों पर निर्भर दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं में ऋण संकट भी खड़ा हो सकता है।
यह भी पढ़ें- एशियाई अर्थव्यवस्थाओं की ग्रोथ इंजन बनेगा भारत, एडीबी को एशियाई देशों की जीडीपी 5.7 फीसदी रहने की उम्मीद