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Hope In India - दिक्कतों के बाद भी क्यों इंडिया की इकोनॉमी दुनिया में बेहतर?

बीते तीन दिनों में दो बड़ी इंटरनेशनल संस्थाओं अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और वर्ल्ड बैंक ने भारत की इकोनॉमी को लेकर सकारात्मक नजरिया रखा है।

Abhishek Shrivastava
Updated : October 08, 2015 12:45 IST
Hope In India – दिक्कतों के बाद भी क्यों इंडिया की इकोनॉमी दुनिया में बेहतर?
Hope In India – दिक्कतों के बाद भी क्यों इंडिया की इकोनॉमी दुनिया में बेहतर?

नई दिल्ली: बीते तीन दिनों में दो बड़ी इंटरनेशनल संस्थाओं अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और वर्ल्ड बैंक ने भारत की इकोनॉमी को लेकर सकारात्मक नजरिया रखा है। ऐसा तब जब इन्ही संस्थाओं को दुनिया की अन्य अर्थव्यवस्थाएं मुश्किल दौर से गुजरती और धीमी पड़ती नजर आ रही हैं। आईएमएफ ने अपनी हालिया वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक में कहा, कि भारत की जीडीपी ग्रोथ दूसरी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं से ज्यादा रहने की उम्मीद है। जबकि चीन की ग्रोथ दर में कमी का अनुमान लगाया है। इससे पहले रविवार को वर्ल्ड बैंक ने कहा कि भारत वैश्विक उतार-चढ़ाव को झेल लेगा और कमजोर निर्यात के बावजूद वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर बढ़कर 7.5 फीसदी रहने का अनुमान है।

ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है कि जहां एक ओर देश में जीएसटी और भूमि अधिग्रहण जैसे बिल अटक जाते हैं और मैन्युफैक्चरिंग में कोई तेजी देखने को नहीं मिलती इसके बावजूद ऐसा क्या है कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर अर्थशास्त्रियों से लेकर दुनिया के बड़ी एजेंसियां, बैंक और रिसर्च फर्म सब भरोसा जता रहे हैं?

कंसल्टेंसी फर्म आईएचएस के सीनियर डायरेक्टर एंड चीफ इकोनॉमिस्ट (एशिया पैसिफिक) राजीव बिश्वास ने बताया कि अगर भारत आर्थिक रिफॉर्म पर जोर देता है और इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश बढ़ाता है तो 7 से 8 फीसदी ग्रोथ हासिल कर सकता है। जबकि चीन की ग्रोथ 7 फीसदी से नीचे रहने की संभावना है।

इन कारणों से है Hope In India

सरकार के रिफॉर्म: एक्सपोर्ट्स मानते है कि मोदी सरकार ने आर्थिक रिफॉर्म को लेकर काफी काम किया है। मेडिकल, रेलवे, डिफेंस जैसे महत्वपूर्ण सेक्टरों में एफडीआई की मंजूरी दी है। इज-ऑफ डुइंडिंग बिजनेस को आसान बनाया है। सिंगल विंडो किल्यरेंस शुरुआत की है। साथ ही अटके बड़े प्रेजेक्टों को पूरा करने के लिए अहम कदम उठाए हैं। इसके अलावा मैट को भी खत्म किया है। यही वजह है कि वर्ल्ड बैंक हो या फिर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष सभी भारतीय अर्थव्यवस्था पर भरोसा जता रहे हैं।

रघुराम राजन की मौद्रिक नीति: निवेशकों को आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन की मौद्रिक नीति पसंद आ रही है। महंगाई ध्यान केंद्रित होने से हाल में ही आरबीआई ने ब्याज दरों में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है। वहीं डॉलर के मुकाबले रुपए में मजबूती अमेरिकी निवेशकों का फॉरेक्स रिस्क कम दिया है। इसके अलावा क्रूड की कीमतों में आई कमी और अच्छे फिस्कल मैनेजमेंट के कारण डेफिसिट कम हुआ है।

कमोडिटी की कीमतों में गिरावट: साउथ एशिया इकोनामिक फोकस फॉल 2015 शीर्षक से ताजा रिपोर्ट में वर्ल्ड बैंक ने कहा कि सुधारों को तेजी से लागू करने और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कमोडिटी के दाम में अचानक आई गिरावट से भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी के रास्ते पर अग्रसर है। इसका फायदा निवेश और औद्योगिक उत्पादन को मिलेगा। वर्ल्ड बैंक के मुताबिक कमोडिटी की गिरती कीमतों से औद्योगिक गतिविधियों में सुधार, जिससे देश में आर्थिक गतिविधियों में धीरे-धीरे तेजी आने की संभावना है।

चीन में मंदी की आशंका: आईएमएफ की रिपोर्ट के मुताबिक चीन की ग्रोथ रेट में कमी का अनुमान है। चीन की आर्थिक ग्रोथ इस साल 6.8 फीसदी और 2016 में 6.3 फीसदी रहने की उम्मीद है। रिपोर्ट में भारत के बारे में कहा गया कि क्रेडिट बढ़ाने और इन्वेस्टमेंट ग्रोथ की दिशा में पॉलिसी एक्शन हो रहे हैं। यही वजह है कि निवेशक चीन की जगह भारत में निवेश कर रहे हैं।

वित्त वर्ष 2016 के लिए आईएमएफ का ताजा अनुमान

आईएमएफ ने वित्त वर्ष 2016 में दुनिया में सबसे ज्यादा भारत की ग्रोथ रहने का अनुमान लगाया है। हालांकि आईएमएफ ने पहले की तुलना में अनुमान में कटौती की है, जो पहले 7.5 फीसदी थी। आईएमएफ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इकोनॉमी को पॉलिसी रिफॉर्म्स, निवेश में बढ़ोत्तरी और कमोडिटी की कीमतों में कटौती का फायदा मिलेगा।

economy

स्त्रोत: आईएमएफ का अनुमान (फीसदी में)

भारत पर वर्ल्ड बैंक का नजरिया

वर्ल्ड बैंक के मुताबिक भी भारत बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से विकास करेगा। वर्ल्ड बैंक ने ताजा रिपोर्ट में कहा है कि 2017-18 में भारत की आर्थिक विकास दर 8.0 फीसदी होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन धीरे-धीरे निम्न वृद्धि की ओर बढ़ रहा है, ऐसे में भारत बड़ी उभरती अर्थव्यवस्थाओं में सबसे ज्यादा ग्रोथ हासिल करने वाला देश बन सकता है।

ग्लोबल आर्थिक ग्रोथ का अनुमान घटा

आईएमएफ ने 2015 के लिए ग्रोबल ग्रोथ 3.1 फीसदी रहने का अनुमान जाहिर किया है, जो 2014 की तुलना में 0.3 फीसदी कम है और जुलाई 2015 में जारी अनुमान के मुकाबले 0.2 फीसदी कम है। विकसित देशों की बात करें तो रिपोर्ट में उनके लिए शानदार ग्रोथ का अनुमान जाहिर किया गया है और 2016 में भी ग्रोथ का यह रुझान बरकरार रहेगा।

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