नई दिल्ली। ग्लोबल अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव के बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भारत को स्थायित्व की स्थली करार दिया है। प्रणब मुखर्जी ने कहा कि सरकार ने भारत में इंडस्ट्री और बिजनेस के लिए ईज ऑफ डूइंग पर जोर दिया है। वहीं पुराने पड़ चुके कई कानूनों को खत्म कर निवेश आकर्षित करने के लिए विरोध-भाव मुक्त टैक्स सिस्टम स्थापित की है। संसद के संयुक्त अधिवेशन में अपने अभिभाषण में कहा सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, क्लीन एनर्जी को बढावा देने और सब्सिडी में लीकेज कम करने पर ध्यान दिया है।
राष्ट्रपति ने गिनाई मोदी सरकार की उपलब्धियां
बजट सत्र के पहले दिन संसद के दोनों सदनों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने मोदी की सरकार की उपलब्धियों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारत वर्ल्ड बैंक की ईज ऑफ डूइंग की लिस्ट में 12 स्थान ऊपर आ गया है, जबकि देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 39 फीसदी की वृद्धि हुई। सरकार ने संस्थाओं को सुधारने, प्रक्रियाओं को आसान बनाने और पुराने पड़ चुके कानून खत्म करने के कदम उठाए हैं। इसके अलावा बुनियादी ढांचा विकास के अवसर पैदा करने, स्वच्छ उर्जा को बढावा देने और सब्सिडी में लीकेज कम करने पर ध्यान दिया गया है। उन्होंने कहा, भारत अशांत वैश्विक अर्थव्यवस्था के बीच भारत स्थायित्व की स्थली है। जीडीपी की रफ्तार तेज हुई है। इससे भारत विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक तेजी से ग्रोथ दर्ज करने वाली अर्थव्यवस्था बन गया है। मुखर्जी ने कहा कि महंगाई, फिस्कल डेफिसिट और करंट अकाउंट डेफिसिट कम हुआ है और 2015 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार अब तक के सर्वोच्च स्तर पर रहा है।
रोजगार के अवसर पैदा करना सरकार का मुख्य लक्ष्य
रिटर्न ई-फाइलिंग, इलेक्ट्रानिक प्रोसेसिंग, दस्तावेज वापस प्राप्त करने और ऑनलाइन शिकायत निपटारे जैसी टैक्सपेयर फ्रेंडली सर्विस सरकार ने शुरू की है। राष्ट्रपति ने कहा, सरकार ने टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन में अंतरराष्ट्रीय तौर पर व्यवहार में आने वाले नियमों को शामिल कर आसान, प्रगतिशील विरोध भाव मुक्त वाली कर प्रणाली लागू करने के लिए कई पहलें की हैं। इसके अलावा मंजूरी की प्रक्रिया आसान बनाई गई है। राष्ट्रपति ने रोजगार सृजन सरकार का मुख्य लक्ष्य करार देते हुए कहा कि मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, मुद्रा एवं स्किल इंडिया जैसी पहलों के जरिए रोजगार सृजन को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 1,800 पुराने पड़ चुके कानून निरस्त होने के विभिन्न चरणों में हैं।