नयी दिल्ली। देश की वृहद आर्थिक स्थिति ‘काफी अनिश्चित’ है और चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में करीब 10 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद प्रणव सेन ने यह राय जताई है। सेन ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था का कुल वृहद प्रबंधन बहुत अच्छा नहीं है, लेकिन अर्थव्यवस्था में यह सुस्ती उनके नियंत्रण से बाहर है। सेन ने कहा, ‘‘फिलहाल भारत की मौजूदा वृहद आर्थिक स्थिति काफी अनिश्चित है। मैं कहूंगा कि हमें बहुत-बहुत सतर्क रहना होगा। मुझे लगता है कि आसपास कुछ अधिक ‘आशावाद’ का माहौल है।’’
उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष यानी 2020-21 में भारत की अर्थव्यवस्था की वास्तविक वृद्धि दर नकारात्मक 10 प्रतिशत रहेगी। सेन ने कहा कि तिमाही जीडीपी आंकड़े अब भी कुछ कॉरपोरेट खातों पर आधारित होते हैं। कॉरपोरेट क्षेत्र का प्रदर्शन गैर-कॉरपोरेट क्षेत्र की तुलना में अधिक खराब नहीं रहा है। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ने कहा, ‘‘हमें पता है कि कंपनियों की तुलना में सूक्ष्म, लघु एवं मझोला उपक्रम (एमएसएमई) क्षेत्र अधिक प्रभावित हुआ है। ऐसे में राष्ट्रीय खातों से जो आंकड़े आ रहे है वे अर्थव्यवस्था की कुछ अधिक आशावादी तस्वीर दिखा रहे हैं।’’ सेन ने निवेशकों का भरोसा कायम करने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि निवेशक वे नए लोग हैं जो नई उत्पादन क्षमता में अपना पैसा लगाते हैं। यह पूरी तरह नदारद है।
उन्होंने कहा कि जब तक निवेश वापस नहीं लौटता अर्थव्यवस्था आगे नहीं बढ़ सकती है। सेन ने कहा, ‘‘अभी जैसी स्थिति है, तो हमारी उत्पादन क्षमता 2019-20 की तुलना में अधिक ऊंची नहीं रहेगी। वास्तव में यह इससे कम रहेगी, क्योंकि कुछ क्षमता अब बंद हो चुकी है।’’ सेन सांख्यिकी पर स्थायी समिति (एससीईएस) के प्रमुख भी हैं। उन्होंने कहा कि समिति अभी तक अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप नहीं दे पाई है। सितंबर तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में उम्मीद से बेहतर सुधार दर्ज किया है।
विनिर्माण क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन से सितंबर की दूसरी तिमाही में जीडीपी में गिरावट घटकर 7.5 प्रतिशत रह गई है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में 23.9 प्रतिशत की गिरावट आई थी। रिजर्व बैंक के अनुसार, 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 7.5 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है।