नई दिल्ली। आर्थिक गतिविधियों के मोर्चे पर सुधार का संकेत देते हुए औद्योगिक उत्पादन फरवरी महीने में 7.1 प्रतिशत बढ़ा जबकि थोक मुद्रास्फीति मार्च महीने में 4.28 प्रतिशत पर पांच माह के निचले स्तर पर आ गई। सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है। इसके अनुसार औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि मुख्य रूप से विनिर्माण क्षेत्र के अच्छे प्रदर्शन के चलते आई। पूंजीगत व टिकाऊ उपभोक्ता सामान के अच्छे उठाव से इसे बल मिला। सब्जियों सहित अन्य खाद्य कीमतों में नरमी के चलते उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति मार्च में नरम रही। ये दोनों आंकड़े केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने जारी किए।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) में पिछले साल फरवरी में 1.2 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी। संशोधित आंकड़ों के अनुसार आईआईपी वृद्धि नवंबर में 8.54 प्रतिशत, दिसंबर में 7.1 प्रतिशत व जनवरी में 7.4 प्रतिशत रही। अप्रैल-फरवरी की अवधि में हालांकि, आईआईपी की वृद्धि दर धीमी पड़कर 4.3 प्रतिशत रही जो कि पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 4.7 प्रतिशत रही थी।
इन आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए वाणिज्य एव उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने ट्वीट किया कि विनिर्माण क्षेत्र औद्योगिक उत्पादन सूचकांक फरवरी-2018 में 130.1 रहा जो कि फरवरी 2017 की तुलना में 8.7 प्रतिशत उंचा है। 23 में से 15 उद्योग समूहों ने सकारात्मक वृद्धि दिखाई। आर्थिक संकेतक भारतीय विकास गाथा को परिलक्षित कर रहे हैं।
इस सूचकांक में 77 प्रतिशत से अधिक हिस्सा विनिर्माण क्षेत्र का है। विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर फरवरी में 8.7 प्रतिशत रही जो कि एक साल पहले 0.7 प्रतिशत रही थी। इसी तरह पूंजीगत सामान का उत्पादन आलोच्य महीने में 20 प्रतिशत बढ़ा जबकि एक साल पहले इसकी वृद्धि दर में 2.4 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
टिकाऊ उपभोक्ता सामान खंड फरवरी 2018 में 7.9 प्रतिशत बढ़ा जबकि फरवरी 2017 में यह वृद्धि दर 4.6 प्रतिशत रही थी। इस दौरान बिजली उत्पादन 4.5 प्रतिशत बढ़ा जबकि खनन उत्पादन में 0.3 प्रतिशत की गिरावट आई। उद्योगों के हिसाब से विनिर्माण क्षेत्र में 23 उद्योग समूहों में से 15 में फरवरी 2018 में सकारात्मक वृद्धि रही।
सीएसओ के आंकड़ों के अनुसार खुदरा मुद्रास्फीति मार्च महीने में पांच महीने के निचले स्तर 4.28 प्रतिशत रह गई। मु्द्रास्फीति फरवरी महीने में 4.44 प्रतिशत पर थी। रिजर्व बैंक ब्याज दरें तय करते समय खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर ही गौर करता है। हालांकि, एक साल पहले मार्च महीने में खुदरा मुद्रास्फीति 3.89 प्रतिशत पर थी। इससे पहले अक्टूबर, 2017 में यह 3.58 प्रतिशत के निचले स्तर पर आई थी।
आंकड़ों के अनुसार मार्च महीने में सब्जियों की मुद्रास्फीति घटकर 11.7 प्रतिशत पर आ गई, जो इससे पिछले महीने 17.57 पर थी। समीक्षाधीन महीने में प्रोटीन वाले उत्पादों मसलन अंडा, दूध आदि की मुद्रास्फीति पिछले महीने की तुलना में कम रही। हालांकि, माह के दौरान फल महंगे हुए। कुल मिलाकर मार्च में खाद्य वस्तुओं की महंगाई 2.81 प्रतिशत रही, जो इससे पिछले महीने 3.26 प्रतिशत पर थी।
सीएसओ के आंकड़ों के अनुसार ईंधन और लाइट खंड की मुद्रास्फीति मासिक आधार पर मार्च में घटकर 5.73 प्रतिशत पर आ गई। रिजर्व बैंक ने इसी महीने महंगाई दर की चिंताओं का हवाला देते हुए द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों को पूर्वस्तर पर ही कायम रखा था।