नई दिल्ली। ई-कॉमर्स कंपनियों की मुश्किलें थमती नजर नहीं आ रही है। सरकारी नियमों और कारोबारी संगठनों के दबाव के कारण पहले ही ई-कॉमर्स कंपनियां घटती बिक्री की मार झेल रही हैं। वहीं ऑनलाइन डिस्काउंट नहीं मिलने के कारण अब ग्राहक अपने घर के पास की रिटेल दुकानों का रुख कर रहे हैं। ग्राहकों का कहना है कि अगर ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों जगह किसी प्रोडक्ट की कीमत बराबर है तो हम डिलिवरी के लिए इंतजार क्यों करें? पास के दुकान में जाकर तुरंत क्यों ना खरीदें? यहीं वजह है की बड़ी संख्या में लोग वापस पारंंपरिक दुकानों से सामान खरीदने लगे। ग्राहकों का यह रुख ईकॉमर्स कंपनियों के लिए खतरे की घंटी है। एक ओर मार्जिन प्रैशर के कारण घटते डिस्काउंट के कारण ग्राहक मुंह मोड़ रहे हैं, वहीं घटती सेल के चलते इंवेस्टर्स से मिलने वाली फंडिंग भी घट रही है।
दुकानों का रूख कर रहे हैं ग्राहक
पिछले हफ्ते, मार्केटिंग प्रोफेशनल अभिषेक बजाज ने एक फ्रिज खरीदने का फैसला किया। अभिषेक ने फ्लिपकार्ट और अमेजन पर फ्रिज की तलाश की। इसके बाद हमेशा की तरह वह अपने पड़ोस के दुकान में गए तो पता चला की ऑफलाइन और ऑनलाइन कीमत समान है तो उन्होंने दुकान से खरीदने का फैसला किया। अभिषेक ने कहा दुकान मेरे घर से 100 मीटर की दूरी पर है, अगर मैं ऑर्डर करता हूं तो कुछ घंटों में पहुंचा जाएंगे। दूसरी ओर ऑनलाइन वाले कम से कम दो दिन लगाएंगे। सिर्फ बाजार ही ऐसे व्यक्ति नहीं है जो ऐसा सोचते हैं। बड़ी संख्या में लोग वापस दुकान से सामन खरीद रहे हैं।
इस साल की शुरुआत के बाद से ही भारतीय ई-कॉमर्स कंपनियों के प्रति विदेशी निवेशकों का रुझान घटा है। यही वजह है कि निवेशकों ने भारत की सबसे बड़ी ऑनलाइन रिटेल कंपनी फ्लिपकार्ट की वैल्यूएशन को कम कर दिया है। ऐसे में कंपनियों पर दबाव है कि अपनी लागत को कम करे और मार्जिन में सुधार लाए। इसकी वजह से भारी डिस्काउंट देना मुश्किल हो गया है। इसके अलावा सरकार ने फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (एफडीआई) के नियमों में बदलाव किया है, जिसकी वजह से ई-रिटेलर्स की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। वहीं कारोबारी संगठन बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों पर लगातार दबाव बना रही हैं।