नई दिल्ली। भारतीय इकाइयों का मुनाफा और कारोबार दूसरे देशों के मुकाबले कोविड-19 से पहले की स्थिति में जल्द पहुंच जाने का अनुमान है। भारतीय उद्यमी विभिन्न देशों में बढ़ती संरक्षणवादी प्रवृति के बावजूद अंतरराष्ट्रीय व्यापार को लेकर भी आशावान है। एचएसबीसी के वार्षिक सर्वेक्षण के मुताबिक भारतीय कपनियों की वृद्धि और निवेश की क्षमता बनी हुई है। यह सर्वेक्षण दुनिया के 39 वैश्विक बाजारों की 10,000 से अधिक कंपनियों के बीच होता है। इसमें भारत की 350 कंपनियां शामिल हैं। सर्वेक्षण के मुताबिक 87 प्रतिशत भारतीय कंपनियों को 2022 के अंत तक कोविड-19 से पूर्व के लाभ स्तर को प्राप्त करने का अनुमान है। जबकि इसका वैश्विक औसत 73 प्रतिशत है।
सर्वेक्षण में कहा गया है, ‘‘ दुनिया में कोरोना वायरस के सबसे अधिक मामले सामने आने के बावजूद भी कंपनियां खुद को लेकर आशावान हैं। वहीं इस वैश्विक महामारी का अच्छा-खासा आर्थिक प्रभाव भी पड़ा है।’’ लगभग 90 प्रतिशत भारतीय कंपनियां आने वाले साल में अधिक सफलता के लिए वित्तीय निवेश बढ़ाने की इच्छा रखती हैं जबकि इसका वैश्विक औसत 67 प्रतिशत है। कारोबार परिदृश्य के संदर्भ में देखें तो लगभग 45 प्रतिशत भारतीय इकाइयां कारोबार वृद्धि को लेकर आशान्वित हैं। जबकि वैश्विक औसत 29 प्रतिशत ही है। एचएसबीसी इंडिया में वाणिज्यिक बैंकिंग प्रमुख रजत वर्मा ने कहा कि कुल कारोबारी धारणा नरम ही है। लेकिन सुधार के संकेत दिखाई दे रहे हैं और कंपनियां वृद्धि के नए रास्ते तय कर रही हैं। अंतरराष्ट्रीय व्यापार को लेकर भी भारतीय कंपनियों का रुख सकारात्मक है। करीब 93 प्रतिशत कंपनियां इसे लेकर सकारात्मक रुख रखती हैं जबकि वैश्विक औसत 72 प्रतिशत है।