नई दिल्ली। भारतीय कंपनियां खुद को जिम्मेदारी संगठन बनाने और कर्मचारियों को अपने साथ लंबे समय तक जोड़े रखने के लिए तमाम प्रयास करती हैं, लेकिन हाल ही के दिनों में इन कंपनियों ने अपनी एचआर पॉलिसी में बड़े बदलाव और नए नियम जोड़े हैं। इनमें वर्क फ्रॉम होम और मेटरनिटी और पैटरनिटी लाभ प्रमुख हैं। देश की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट ने अपनी मेटरनिटी लीव पॉलिसी को संशोधित कर इस साल जुलाई में इसे 24 सप्ताह कर दिया है। मोंडेलेज इंडिया फू्ड्स, रियल एस्टेट कंपनी के रहेजा कॉर्प, मिंत्रा ने इन्नोवेटिव आइडिया के साथ मेटरनिटी-पैटरनिटी पॉलिसी को संशोधित किया है।
जॉब सर्च पोर्टल ग्लोबहंड के एमडी सुनील गोयल कहते हैं कि नई पीढ़ी के कारोबार काफी प्रतिस्पर्धी हैं। ज्यादा वैश्विक कंपनियां खुद को न केवल एक जिम्मेदार प्रतिष्ठान के रूप में दिखाना चाहते हैं, बल्कि वे विदेशी ग्राहकों को आकर्षित करने के साथ ही कर्मचारियों को लंबे समय तक अपने साथ जोड़े रखना चाहती हैं। मोंडेलेज इंडिया फूड्स की निदेशक (मानव संसाधन) पी महालक्ष्मी कहती हैं कि हम इस चीज को समझते हैं कि कुछ अतिरिक्त समर्थन कर्मचारियों को नए चरण में जाने के लिए अधिक तैयार करता है। इसी के अनुरूप मौजूदा मातृत्व नीति का पुनर्गठन किया गया है और अप्रैल- 2015 में नई अभिभावक नीति पेश की गई है। नई अभिभावक नीति अनिवार्य मातृत्व अवकाश से आगे की है। इसमें इस तथ्य को भी देखा गया है कि पुरुष सहयोगियों को भी इस दौरान जिम्मेदारियां उठानी पड़ती हैं।
वर्क फ्रॉम होम को दे रहे हैं प्राथमिकता
काम और जीवन के बीच संतुलन की बढ़ती जरूरत के मद्देनजर प्रोफेशनल्स वर्क फ्रॉम होम विकल्प को अधिक प्राथमिकता दे रहे हैं। विस्डमजॉब डॉट कॉम द्वारा कराए गए एक सर्वे के मुताबिक 70 फीसदी महिला कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम विकल्प देने वाली कंपनियों को ज्वॉइन करना चाहती हैं, जबकि 40 फीसदी पुरुष कर्मचारी नई कंपनी ज्वॉइन करने से पहले वर्क फ्रॉम होम विकल्प की तलाश करते हैं। इसके पीछे कारण यह है कि अधिकांश महिला और पुरुष कर्मचारी यह सोचते हैं कि पारंपरिक ऑफिस संस्कृति से दूर रहकर अपनी व्यक्तिगत जरूरतों को पूरा करते हुए वह अपना काम ज्यादा क्षमता से कर सकते हैं। विस्डमजॉब डॉट कॉम के सीईओ अजय कोला के मुताबिक इस ट्रेंड को देखते हुए कंपनियां अपनी एचआर पॉलिसी में बदलाव कर रही हैं। मार्केट रिपोर्ट के मुताबिक पारंपरिक सेक्टर जैसे मैन्युफैक्चरिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर में यह विकल्प नहीं अपनाया गया है। आईटी और आईटीईएस, हेल्थकेयर, एजुकेशन और फाइनेंस जैसे सेक्टर्स अपने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम की सुविधा दे रहे हैं।