बीजिंग: भारत एवं चीन के बीच द्विपक्षीय कारोबार के रिकॉर्ड 100 अरब डॉलर पर पहुंचने की संभावनाओें के बीच चीन का चर्चित आयात एक्सपो भारतीय कंपनियों की अनुपस्थिति में शंघाई में शुरू हो चुका है। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने एक वीडियो लिंक के जरिये बृहस्पतिवार को 'चाइना इंटरनेशनल इम्पोर्ट एक्सपो' (सीआईआईई) का औपचारिक रूप से उद्घाटन किया।
एक्सपो में शामिल प्रतिभागियों के मुताबिक, कोविड-19 संबंधी यात्रा पाबंदियों की वजह से दूसरे देशों की अधिकांश कंपनियों एवं फर्मों का प्रतिनिधित्व उनके स्थानीय एजेंटों ने ही किया। अधिकारियों का कहना है कि चार साल पहले शुरू हुए इस एक्सपो में इस बार भारतीय कारोबारियों के शामिल न हो पाने के पीछे महामारी के दौर में लगी यात्रा पाबंदियां ही मुख्य वजह हैं। पिछले साल से ही चीन ने भारतीय नागरिकों को वीजा देना बंद किया हुआ है और फिलहाल दोनों देशों के बीच उड़ानों का संचालन भी नहीं हो रहा है।
इस वजह से चीन के शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले हजारों भारतीय छात्र और सैकड़ों भारतीय कारोबारी एवं परिजन फंसे हुए हैं। वर्ष 2019 के सीआईआईई एक्सपो में केंद्रीय वाणिज्य सचिव अनूप वधावन की अध्यक्षता में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने शिरकत की थी। लेकिन कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने और दोनों देशों के बीच सीमा पर पैदा हुए तनाव के साथ ही भारतीय कारोबारियों के बीच चीनी बाजार में दखल को लेकर खास दिलचस्पी भी नहीं देखी जा रही है।
बहरहाल, यह एक्सपो ऐसे समय हो रहा है जब भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 100 अरब डॉलर के करीब पहुंचने वाला है। कैलेंडर वर्ष के पहले नौ महीनों में ही द्विपक्षीय कारोबार 90 अरब डॉलर के पार जा पहुंचा है। चीन के सीमा शुल्क विभाग के मुताबिक, सितंबर 2021 के अंत में भारत-चीन व्यापार 90.37 अरब डॉलर पर रहा जो एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में 49.3 प्रतिशत अधिक है।
अनुमान है कि अगले महीने के अंत तक यह 100 अरब डॉलर से अधिक हो जाएगा। चीन के सरकारी समाचार पत्र ‘ग्लोबल टाइम्स’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट में विशेषज्ञों के हवाले से कहा गया है कि इस साल भारत-चीन व्यापार में दर्ज उल्लेखनीय तेजी के बीच एक्सपो में भारत की गैरमौजूदगी एक विरोधाभास है। इस बार एक भी भारतीय कंपनी इस एक्सपो में शामिल नहीं हो रही है।
चीन के राष्ट्रपति चिनफिंग ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि चीन बाकी दुनिया के साथ बाजार को साझा करेगा और अपने पड़ोसी देशों से आयात बढ़ाएगा। उन्होंने चीन में मौजूद विशाल मध्यवर्ग का उल्लेख करते हुए कहा कि यह एक बड़ा बाजार है और चीन कारोबार के संतुलित विकास की दिशा में काम करेगा।