नई दिल्ली। भारतीय व्यवसाय बार-बार होने वाले रैन्समवेयर हमलों के प्रति कितना सचेत है और एक्सप्लॉइट को लेकर कितना संवेदनशील है, इस पर से पर्दा उठाते हुए सोफोस ने बुधवार को चेतावनी दी। भारतीय व्यवसायों पर रैन्समवेयर के करीब 67 फीसदी हमले हुए, जिसमें 38 फीसदी व्यवसायों को दोबारा निशाना बनाया गया। वैश्विक साइबर सुरक्षा दिग्गज सोफोस ने कहा कि रैन्समवेयर से लड़ने के लिए विश्वभर में तीन फीसदी कंपनियों ने 1.37 करोड़ अमेरिकी डॉलर खर्च किए। जिसमें भारत ने सबसे अधिक 17 लाख अमेरिकी डॉलर खर्च किए।
सोफोस इंडिया और सार्क में बिक्री के प्रबंध निदेशक सुनील शर्मा ने कहा कि साइबर अपराधियों ने चार अलग प्रकारों के रैन्समवेयर निकाले हैं, जो सुरक्षा में सेंध लगाते हैं और हमला करते हैं।
उन्होंने कहा कि आज के साइबर अपराधी बार-बार हमला करते हैं, वह एक ही बार में रैन्समवेयर का मिश्रण छोड़ते हैं, जो रिमोट से चलता है और सर्वर को संक्रमित करता है या सुरक्षा के सॉफ्टवेयर को नाकाम कर देता है। यदि आईटी प्रबंधक हमले के बाद अपने सिस्टम्स से रैन्समवेयर और अन्य खतरों को नहीं हटाते हैं, तो संक्रमण दोबारा हो सकता है। असावधान रहना हानिकारक हो सकता है।
कंपनी ने इस सर्वे के लिए विश्व के 10 देशों के मध्यम आकार के व्यवसायों के 2700 आईटी नीति निर्माताओं से जानकारी ली। जिन देशों में यह सर्वे किया गया उसमें अमेरिका, कनाडा, मेक्सिको, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, जापान, दक्षिण अफ्रीका और भारत शामिल हैं।
रैन्समवेयर विश्व के लिए एक बड़ी समस्या बना हुआ है, क्योंकि सर्वे में शामिल 54 प्रतिशत कंपनियां पिछले वर्ष इसका शिकार हुईं और 31 प्रतिशत पर भविष्य में हमला होने का खतरा है। सर्वे में भाग लेने वालों पर रैन्समवेयर का हमला औसतन दो बार हुआ।
सोफोस ने बुधवार को 'द स्टेट ऑफ एंडप्वाइंट सिक्युरिटी टुडे' रिपोर्ट में कहा कि हमलों की तीव्रता के बावजूद भारतीय व्यवसाय हमलावरों से खुद की रक्षा करने के लिये तैयार नहीं हैं।