नई दिल्ली। आठ साल और 1800 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भारत का सबसे बड़ा मॉल मॉल ऑफ इंडिया अगले हफ्ते नोएडा में पूरी तरह से खुलने जा रहा है। 20 लाख वर्ग फीट क्षेत्र में फैला और छह मंजिला इस मॉल का निर्माण रियल एस्टेट डेवलपर डीएलएफ ने किया है। क्लोथिंग रिटेलर एचएंडएम का इसमें चार मंजिला स्टोर होगा, जो कि देश में सबसे बड़ा होगा। जारा आउटलेट का भी काम इसमें चल रहा है। गैप का स्टोर पहले ही खुल चुका है और उसमें मिड सीजन सेल चल रही है। इसके अलावा यहां 330 ब्रांड्स को डिसप्ले किया गया है। स्टोर के अलावा यहां रेस्टॉरेंट, सिनेमा हॉल और गेम जोन है और यहां मध्यम वर्गीय ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए हर चीज का इंतजाम किया गया है।
एनसीआर के दक्षिण-पश्चिमी छोर पर एक अन्य बड़ी जमीन निलामी का इंतजार कर रही है। कई कंपनियां एयरपोर्ट मॉल के लिए बोलियां लगाना चाहती हैं। यह छह फुटबॉल मैदान के बराबर होगा और इसको विकसित करने पर तकरीबन 600 करोड़ रुपए की लागत आएगी। दुबई का लूलू ग्रुप भी अगले चार साल में 5000 करोड़ के निवेश से मॉल का निर्माण करने की घोषणा कर चुका है।
अपने विशाल पारंपरिक रिटेल मार्केट के बावजूद भारत का मॉल्स के साथ एक कमजोर रिश्ता है। कुछ उन्मादी गतिविधियों के साथ एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में मॉल के लिए कभी बेहतर समय नहीं रहा है। मॉल का कल्चर पिछले एक दशक में बढ़ा है। अनुमान के मुताबिक देशभर में 450 मॉल हैं, जिनमें से कुछ गिनती के ही फायदे में है शेष बिजनेस के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वास्तव में रिसर्च रिपोर्ट बताती हैं कि भारत में ताजा मॉल सप्लाई 2011 और 2012 के बीच अपने उच्चतम स्तर 1.4 करोड़ वर्ग फुट पर थी। 2014 में कुछ रियल एस्टेट कंपनियों ने ही मॉल में पैसा लगाया, इस दौरान रिटेल क्षेत्र में शुद्ध रूप से 20 लाख वर्ग फुट एरिया ही नया जुड़ा।
ऑनलाइन बाजार से मिल रही है कड़ी टक्कर
ऑनलाइन रिटेल भारी डिस्काउंट मॉडल के साथ ऑफलाइन रिटेल मार्केट को कड़ी चुनौती दे रहा है। भारत, चीन और अमेरिका में फ्लिपकार्ट, अलीबाबा और अमेजन के यूजर्स की संख्या लगातार बढ़ रही है। 2014 और 2015 के दौरान पारंपरिक रिटेलर्स ग्राहकों की कमी से जूझ रहे हैं, जबकि उपभोक्ता गैजेट, ग्रॉसरी, गारमेंट आदि की खरीद ऑनलाइन कर रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक ऑनलाइन रिटेल की हिस्सेदारी 2014 में 2 फीसदी थी, जो 2019 में बढ़कर 11 फीसदी हो जाएगी, वहीं इस दौरान ऑफलाइन रिटेल की हिस्सेदारी 17 फीसदी से घटकर 13 फीसदी हो जाएगी। इसके बाद भी कुछ डेवलपर्स बड़े मॉल बना रहे हैं। क्या उन्हें सफलता मिलेगी, कुछ लोगों का कहना है कि सफलता मिलेगी।
डीलएफ मॉल ऑफ इंडिया की एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसीडेंट पुष्पा बेक्टर कहती हैं कि भारत युवाओं का देश है और युवा भारतीय ग्राहक बड़े रिटेल मॉल का इस्तेमाल एंटरटेनमेंट डेस्टीनेशन के तौर पर करेंगे। उन्होंने कहा कि मॉल एक कम्यूनिटी सेंटर की तरह हैं, आप यहां कई रोमांचकारी चीजें कर सकते हैं जिससे ग्राहक यहां आने के लिए मजबूर होंगे।
Source: Quartz