नई दिल्ली। भारतीय बैंकों को 2019 तक वैश्विक पूंजी पर्याप्तता नियमों का अनुपालन करने के लिए 90 अरब डॉलर पूंजी की जरूरत होगी। फिच रेटिंग्स ने यह कहा है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि सरकार का पीएनबी, भारतीय स्टेट बैंक तथा बैंक ऑफ इंडिया समेत सार्वजनिक क्षेत्र के 13 बैंकों में 22,900 करोड़ रुपए (3.4 अरब डॉलर) डालने का निर्णय इन बैंकों की ऋण देने की क्षमता बढ़ाने में मददगार है।
फिच ने कहा कि संपत्ति गुणवत्ता दबाव तथा इन बैंकों में लाभ की कमजोर संभावना को देखते हुए आर्थिक वृद्धि से प्रणाली पर जो दबाव है, इस कदम से दूर होने की संभावना कम है। एजेंसी ने एक बयान में कहा कि एक अनुमान के अनुसार भारतीय बैंकों को बेसल तीन जरूरतों को 2019 तक पूरा करने के लिए कुल 90 अरब डॉलर की पूंजी की जरूरत होगी।
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बयान के अनुसार, फिच का मानना है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के क्रेडिट प्रोफाइल पर दबाव बना रहेगा और वित्त वर्ष 2018-19 तक जो 70,000 करोड़ रुपए (10.4 अरब डॉलर) की पूंजी डाले जाने की बात कही गई है, उससे कहीं अधिक पूंजी की जरूरत होगी। यह दीर्घकालीन वृद्धि के लिए बाजार का विश्वास और क्षेत्र की स्थिति बनाए रखने के लिए जरूरी है। इसके साथ ही घरेलू रेटिंग एजेंसी इक्रा ने वर्ष के शुरुआती महीनों में बैंकों में डाली गई पूंजी को सकारात्मक कदम बताया है और कहा है कि इससे सरकारी क्षेत्र के बैंकों के पूंजीकरण स्तर को अच्छा समर्थन मिलेगा। इक्रा ने हालांकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में टीयर-एक पूंजी जरूरतों को 40 से 50 हजार करोड़ रुपए के दायरे में बताया है, जो कि सरकार के 22,915 करोड़ रुपए की पूंजी डालने के मुकाबले कहीं अधिक है।