मुंबई: विविध क्षेत्रों में कार्यरत वित्तीय सेवा समूह इंडियाबुल्स ग्रुप ने अपने करीब 2,000 कर्मचारियों को कंपनी से इस्तीफा देने को कहा है। हालांकि, समूह ने कहा है कि यह छंटनी की कार्रवाई नहीं है बल्कि वार्षिक आधार पर कर्मचारियों द्वारा कंपनी छोड़ने के चक्र यानी एट्रिशन का हिस्सा है। इंडियाबुल्स ग्रुप ने बयान में कहा, ‘‘कंपनी में सामान्य तौर पर अप्रैल-मई के दौरान 10-15 प्रतिशत श्रमबल का एट्रिशन देखने को मिलता है। इस साल हमने उच्चतम न्यायालय और गृह मंत्रालय द्वारा स्थिति स्पष्ट किए जाने का इंतजार किया। कारोबार की सामान्य प्रक्रिया के तहत कर्मचारियों द्वारा कंपनी छोड़ने के अलावा किसी तरह की छंटनी नहीं की गई है। यह कार्रवाई सिर्फ कुछ माह नहीं बल्कि पूरे साल के प्रदर्शन के आधार पर की गई है। ’’
हालांकि, समूह ने इस बारे में कोई संख्या नहीं दी है। समूह में 26,000 से अधिक लोग कार्यरत हैं। वित्त वर्ष 2019-20 में समूह ने 7,000 नए कर्मचारी जोड़े हैं। हाल में समूह की आवास वित्त कंपनी इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस के कर्मचारियों ने दावा किया कि उनके रिपोर्टिंग प्रबंधक ने 15 मई को उनसे कंपनी से इस्तीफा देने को कहा। कंपनी में उनका अंतिम दिन 31 मई, 2020 होगा। आवास वित्त कंपनी के कुछ कर्मचारियों ने पीटीआई-भाषा से कहा कि उन्हें तीन महीने की नोटिस की अवधि पूरी करने की भी अनुमति नहीं दी जा रही।
एक कर्मचारी ने कहा, ‘‘हमारे नियुक्ति पत्र में दोनों पक्षों से तीन माह की नोटिस अवधि का जिक्र है। हमने उनसे नोटिस की अवधि पूरी करने का आग्रह किया है ताकि इस दौरान नई नौकरी तलाशी जा सके।’’ कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि नोटिस की अवधि कर्मचारियों के अनुबंध के हिसाब से भिन्न-भिन्न है। कुछ कर्मचारियों ने दावा किया कि उनके द्वारा इस्तीफा देने से इनकार करने के बाद उनका तबादला कर दिया गया है। एक कर्मचारी ने बताया कि वह कंपनी के नोएडा कार्यालय मे कार्यरत है। उसका स्थानांतरण दक्षिण भारत में कर दिया गया है और उसे 25 मई को वहां ड्यूटी पर रिपोर्ट करने को कहा गया है। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि इस मुद्दे पर कर्मचारियों के साथ लगातार बातचीत की जा रही है।