इस प्रदूषण के लिए 88 लाख वाहनों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए इस साल दिल्ली सरकार दो बार ऑड-ईवन फॉर्मूला लागू कर चुकी है। शहर में यातायात्र भीड़ को कम करने के लिए भारत के शहरी विकास मंत्रालय द्वारा गठित एक कमेटी ने कुछ सुझाव दिए हैं। इस कमेटी की स्थापना नवंबर 2014 में की गई थी। कमेटी के प्रस्तावों को केंद्र सरकार की मंजूरी मिलने का इंतजार है। शहरी विकास मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि तेजी से बढ़ती वाहनों की संख्या पर लगाम कसने के लिए जरूरी है कि एक ऐसी नीति बनाई जाए जो पब्लिक और नॉन-मोटोराइज्ड ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने वाली हो। इसके साथ ही पार्किंग प्राइस को बढ़ाकर और कंजेशन टैक्स लगाकर प्राइवेट वाहनों के उपयोग को कम करना होगा।
कमेटी की रिपोर्ट बताती है कि दिल्ली में तकरीबन 60 फीसदी पैसेंजर ट्रिप 4 किलोमीटर से कम दूरी को कवर करती है, जबकि 80 फीसदी ट्रिप छह किलोमीटर से कम की होती हैं। कमेटी ने यह प्रस्ताव किया है कि कुल पैसेंजर ट्रिप में 80 फीसदी उपयोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट और नॉन-मोटोराइज्ड ट्रेवल का उपयोग होना चाहिए। इसमें कहा गया है कि 2021 तक नई दिल्ली में 2.8 करोड़ डेली पैसेंजर ट्रिप होने की संभावना है।
कमेटी द्वारा दिए गए अन्य महत्वपूर्ण सुझाव
- फुटपाथ पर पार्किंग को एक अपराध माना जाए।
- सभी सड़कों पर फुटपाथ हों, सड़का के पहले इस्तेमाल का अधिकार पैदल यात्रियों का हो।
- पैदल यात्रियों और साइकिल सवारों के लिए अधिक क्रॉसिंग का प्रावधान हो, कम से कम प्रत्येक 250 मीटर पर ऐसा हो।
- घर या ऑफिस से वॉकिंग डिस्टेंस पर बस सर्विस उपलब्ध होनी चाहिए।
- बस का किराया प्रति किलोमीटर टू-व्हीलर चलाने की कॉस्ट से भी कम होना चाहिए।
- तुरंत 2,000 नई बसें खरीदनी चाहिए और अगले चरण में 4,000 बसों को खरीदा जाए।
- अधिक भीड़भाड़ वाले रूट पर बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम कॉरीडोर का विकास किया जाए।
- प्राइवेट व्हीकल के उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए पार्किंग शुल्क बाजार नियंत्रित हो और उन पर कंजेशन टैक्स भी लगाया जाए।
- तुरंत और तेजी से निर्णय लेने के लिए यूनीफाइड मेट्रोपोलिटन ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी का गठन किया जाए।