अपराधियों को होगी पांच साल की जेल
फाइनेंस के लिए बनी पार्लियामेंट की स्टैंडिंग कमेटी के मेंबर निशिकांत दुबे ने कहा
देश में सख्त कानून न होने के कारण लाखों गरीब लोग पोंजी स्कीम में फंस जाते हैं। इसलिए हम कानून बनाने जा रहे हैं ताकि भविष्य में सहारा की तरह कोई और घोटाला देश में ना हो। इस बिल में अपराधियों के लिए सजा का प्रावधान होगा। कानून ना मानने वालों को पांच साल तक की जेल और जुर्माना भरना पड़ सकता है। वहीं अगर कोई दोबारा घोटाला करता है तो उसे 10 साल की सजा होगी।
देश में नहीं कोई सख्त कानून
वर्तमान में भारत में एक भी ऐसा कानून नहीं है, जो पोंजी स्कीम को नियंत्रित कर सके। सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) केवल उन कंपनियों की जांच या रोक लगा सकती है, जिसने बाजार से 100 करोड़ रुपए से अधिक धन उठाया हो। इसको सामूहिक निवेश योजना कहा जाता है। लेकिन देश के आंतरिक इलाकों में ऐसे हजारों को-ऑपरेटिव्स हैं, जो निवेशकों से छोटी रकम इकट्ठा कर रहे हैं। एग्रीकल्चर मिनिस्ट्री के सिर्फ 10 लोग को-ऑपरेटिव्स की निगरानी कर रहे हैं। इन कर्मचारियों के पास ऐसे संसाधन मौजूद नहीं है, जिससे पोंजी स्कीम पर नजर रखी जा सके। वहीं राजनीतिज्ञों के दबाव की वजह से भी कई बार नजर अंदाज करना पड़ता है। यूएस सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन के मुताबिक पोंजी स्कीम वह होता है, जिसमें पुराने निवेशकों के पैसों से नए निवेशकों को मोटा रिटर्न दिया जाता है।
दो स्कीम, 67,300 करोड़ रुपए की चपत
हाल के दिनों में सहारा, शारदा और पीएसीएल जैसे घोटाले सामने आए हैं, जिन पर सरकार ने कार्रवाई की है। सहारा ने 2008 और 2011 के बीच बचत योजना चलाई, जिसको सेबी ने अवैध करार देते हुए निवेशकों का पैसा लौटाने का आदेश दिया। 2012 में सुप्रीम कोर्ट के पूछने पर सहारा ने कहा कि हमने निवेशकों को 3.9 अरब डॉलर (26,237 करोड़ रुपए) लौटा दिए हैं और 84 करोड़ डॉलर अभी भी वापस करना है। लेकिन सेबी ने इन दावों को खोखला बताया। बाकी का पैसा जमा करने में विफल होने के बाद फरवरी 2014 में सहारा को जेल जाना पड़ा। उनपर निवेशकों का 36,358 करोड़ रुपए हड़पने का आरोप है। शारदा और पीएसीएल पर भी कार्रवाई हुई है। अगर सहारा और शारदा को मिला दें तो निवेशकों को 67,300 करोड़ रुपए का चूना लगा है।