नई दिल्ली। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने बताया कि भारत ने वैश्विक बाजार में कच्चे तेल के घटे दाम का फायदा उठाते हुए अपने भूमिगत तेल भंडारों, टैंकों, पाइपलाइनों और जलपोतों में 3 करोड़ 20 लाख टन कच्चे तेल का भंडारण कर लिया है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है।
भारत पेट्रोलियम उत्पादों की अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए 85 प्रतिशत की भरपाई आयात से करता है। कोविड-19 के दौर में चुनौतियों का प्रभाव कम करने पर फेसबुक पर हुई बातचीत में प्रधान ने कहा कि कोरोना वायरस के प्रभाव को रोकने के लिए लॉकडाउन लगाए जाने से पूरी दुनिया में तेल की मांग अचानक गायब हो गई। ऊर्जा क्षेत्र में यह अपने आप में अभूतपूर्व स्थिति है। इससे पहले ऐसी स्थिति कभी नहीं देखी गई।
उन्होंने कहा, इस स्थिति के चलते विश्व बाजार में कच्चे तेल के दाम टूटते चले गए और एक समय तो ऐसा भी आया जब अमेरिका के बाजार में दाम नकारात्मक दायरे में चले गए। प्रधान ने कहा कि भारत इस स्थिति का लाभ अपने तेल भंडारों को भरने के लिए कर रहा है ताकि बाद में इसका इस्तेमाल किया जा सके।
उन्होंने कहा कि सउदी अरब, यूएई और इराक से की गई कच्चे तेल की खरीद से 53.30 लाख टन क्षमता के भूमिगत रणनीतिक भंडारों को भरने में मदद मिली है वहीं 70 लाख टन तेल तैरते जलपोतों में रखा गया है। इसी प्रकार ढाई करोड़ टन तेल देश के भूक्षेत्र स्थिति डिपो और टेंकों, रिफाइनरी पाइपलाइनों एवं उत्पाद टैंकों में भरा गया है।
प्रधान ने कहा कि भंडारण किया गया यह तेल देश की कुल मांग का 20 प्रतिशत के बराबर है। भारत अपनी कुल जरूरत का 85 प्रतिशत तेल आयात करता है। उसकी तेल रिफाइनरियों में 65 दिन के कच्चे तेल का भंडार रखा जाता है।