मुंबई। इस समय दुनिया में सबसे तेजी से आर्थिक वृद्धि कर रहे भारत का विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार निकट भविष्य में 500 अरब डॉलर वार्षिक तक पहुंचने की संभावना है। यह बात वित्तीय सेवा परामर्श कंपनी पीडब्लयूसी और इंडो-अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स की एक साझा रिपोर्ट में कही गई है। वर्तमान में भारत-अमेरिका का द्विपक्षीय व्यापार 100 अरब डॉलर से कुछ अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार पिछले दो साल में दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंध अधिक प्रगाढ़ हुए हैं। दोनों देशों के बीच आने-जाने वाले लोगों संख्या और गणमान्य व्यक्तियों की परस्पर यात्राओं में इजाफा हुआ है। दोनों देश आतंकवाद से मिलकर लड़ने और व्यापार बढ़ाने के लिए भी पहल कर रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, दोनों देश आपस में द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाकर 500 अरब डॉलर वार्षिक तक पहुंचाने की उम्मीद कर रहे हैं जो इस समय 100 अरब डॉलर वार्षिक से कुछ अधिक है। इसमें अंतरिक्ष और रक्षा, बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं एवं बीमा, रसायन, भारत में मालगाडिय़ों के लिए विशेष मार्ग परियोजनाएं, उर्जा और बुनियादी ढांचा जैसे दस क्षेत्रों को बड़ी संभावना वाला क्षेत्र बताया गया है। इसमें कहा गया है कि इससे ना केवल घरेलू वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा बल्कि इससे विश्व के एक व्यावसरयिक केंद्र के रूप में भारत की स्थिति मजबूत होगी। इसी संबंध में बंदरगाह, आंतरिक जलमार्ग, खनिज तेल एवं गैस, औषधि और डिजिटलीकरण परियोजना क्षेत्र का भी उल्लेख किया गया है। इसमें यह भी कहा गया है कि यह क्षेत्र भारत सरकार और उद्योग जगत के मिलेजुले प्रयास से अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं।
पीडब्ल्यूसी यूएस बिजनेस ग्रुप के भागीदार द्वारकानाथ ई. एन ने कहा, भारत में कारोबारी गतिविधियां इस समय सर्वकालिक तीव्र स्तर पर हैं। भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को वैश्विक कंपनियों के लिए खोला है और इसके लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नियमों में ढील दी गई है। लाइसेंस और नियामकीय बाधाएं खत्म की गई हैं एवं नए हाईटेक समाधान अपनाए जा रहे हैं। भारत हथियारों के वैश्विक आयात में 14 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ सबसे बड़ा आयातक है और अमेरिका हथियारों के प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं में एक है। इंडो-अमेरिका चैंबर ऑफ कॉमर्स के महासचिव रंजन खन्ना ने कहा, अमेरिका भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है और निकट भविष्य में इनके बीच व्यापार के 500 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है।