नई दिल्ली। भारत की अर्थव्यवस्था के सुनहरे भविष्य को लेकर दुनियाभर की एजेंसियां आश्वस्त नजर आ रही हैं। एक नई रिपोर्ट आई है जिसमें कहा गया है कि आर्थिक और राजनीतिक सुधारों के अनुमान के मुताबिक नतीजे आए तो 30 साल में देश की गरीबी लगभग खत्म हो जाएगी और देश में अमीर लोगों की संख्या में 10 गुना से ज्यादा बढ़ोतरी होगी।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) ने People Research on India’s Consumer Economy (PRICE) की रिपोर्ट के हवाले से लिखा है कि 2048 तक भारत की जनसंख्या 171 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है जिसमें आर्थिक तौर पर पिछड़े हुए लोगों की संख्या सिर्फ 4 करोड़ यानि लगभग 2 प्रतिशत ही होगी। आंकड़ों में यह भी कहा गया है कि मौजूदा समय में गरीबी के खिलाफ बुलंद हौंसलों के साथ लड़ने वालों की संख्या लगभग 46 करोड़ है जो कुल आबादी का लगभग 33 प्रतिशत है, लेकिन 2048 तक इनकी संख्या कुल आबादी का सिर्फ 6 प्रतिशत होगा यानि लगभग 11 करोड़।
रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा समय में देश में लगभग 3 करोड़ अमीर लोग हैं और 2048 तक इनकी संख्या बढ़कर 31 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है, यानि 30 साल में अमीरों की संख्या में 10 गुना से भी ज्यादा की बढ़ोतरी होने की संभावना है। सबसे ज्यादा ग्रोथ मध्यम वर्ग में होने का अनुमान है, PRICE की रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में मध्यम वर्ग देश की आबादी का लगभग 19 प्रतिशत यानि करीब 27 करोड़ है जो 2048 तक बढ़कर 73 प्रतिशत यानि 125 करोड़ होने का अनुमान है।
WGC ने अपनी रिपोर्ट में इन आंकड़ों को इसलिए लिया है ताकि वह बता सके कि भारत में मध्यम वर्ग और अमीर लोगों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी होगी जिससे यहां सोने की मांग में भी तेजी से इजाफा हो सकता है। हालांकि WGC ने भारत के संदर्भ में यह भी कहा है कि भारत घरों में पहले से मौजूद करीब 25000 टन सोना रीसाइकल होकर फिर से बाजार में आ सकता है जिससे भारत की सोने के आयात पर निर्भरता कम होगी।
WGC ने लेकिन कहा है कि अगले 30 सालों के दौरान खदानों से निकलने वाले सोने में कमी आएगी क्योंकी खदानों से सोने की लागत बढ़ रही है। रिपोर्ट में एक अन्य संस्था मेटल फोकस के अनुमान का हवाला दिया गया है जिसके मुताबिक मौजूदा समय में भी नई खदानों से सोना निकालने की लागत लगभग 1500 डॉलर प्रति औंस बैठती है।