मुंबई। देश में कोयले के बढ़ते उत्पादन के बीच भारत की योजना अगले दो-तीन साल में थर्मल कोयले के इंपोर्ट पर पूरी तरह से रोक लगाने की है। इससे सालाना आधार पर 40,000 करोड़ रुपए की बचत की जा सकेगी। केंद्रीय बिजली एवं कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने पहले मैरीटाइम इंडिया समिट में कहा कि कोकिंग कोयले का हालांकि इंपोर्ट करना होगा। उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय इस उद्देश्य से भारतीय शिपिंग कंपनियों से गठजोड़ करने को तैयार है। कोल इंडिया द्वारा रिकॉर्ड उत्पादन से बीते वित्त वर्ष में भारत को अपना कोयले का इंपोर्ट बिल 28,000 करोड़ रुपए कम करने में मदद मिली है।
उन्होंने कहा कि मुझे यह कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि भारतीय कंपनियां बड़ी मात्रा में थर्मल कोयले का इंपोर्ट करती हैं। हम अगले दो-तीन साल में थर्मल कोयले का इंपोर्ट पूरी तरह रोकना चाहते हैं। हमने पहले ही इंपोर्ट कम कर 28,000 करोड़ रुपए बचाया है। इसके जरिये हम 40,000 करोड़ रुपए की बचत कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय कोयले के इंपोर्ट और ट्रांसपोर्टेशन के लिए भारतीय शिपिंग कंपनियों के साथ गठजोड़ को तैयार है। उन्होंने कहा कि यह भारतीयों के लिए जहाज खरीदने और इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश करने का समय है। यह भारतीय शिपिंग कंपनियों के लिए स्वयं के जहाज हासिल करने का समय है। गोयल ने कहा कि वह कोयले के ट्रांसपोर्टेशन के लिए भारतीय शिपिंग कंपनियों के साथ लांगटर्म कॉन्ट्रैक्ट करने के लिए तैयार हैं।
गोयल ने कहा कि सरकार 2019 तक कोल इंडिया का सालाना उत्पादन बढ़ाकर 1 अरब टन पर पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। 2015-16 में इस महारत्न कंपनी ने रिकॉर्ड 53.6 करोड़ टन का उत्पादन किया है, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 4.2 करोड़ टन ज्यादा है। सालाना आधार पर कोल इंडिया का उत्पादन 8.5 फीसदी बढ़ा है। 2015-16 में कोल इंडिया ने 55 करोड़ टन उत्पादन का लक्ष्य रखा था, जिसे वह पूरा नहीं कर पाई। घरेलू कोयला उत्पादन में कोल इंडिया की हिस्सेदारी 80 फीसदी से ज्यादा है।