नयी दिल्ली। मारीशस के साथ टैक्स संधि में संशोधन करने के बाद भारत अब जल्द ही सिंगापुर तथा साइप्रस के साथ पुराने कर समझौतों में संशोधन की प्रक्रिया शुरू करेगा। यह प्रक्रिया मौजूदा वित्त वर्ष में ही पूरी होने की उम्मीद है ताकि इन देशों से निवेश पर पूंजीगत लाभ कर के प्रावधानों में समरूपता आ सके।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, मारीशस की तरह हमें सिंगापुर व साइप्रस कर संधि में भी साल के आखिर तक संशोधन की उम्मीद है ताकि विभिन्न देशों से आने वाले निवेश पर कराधान में समरूपता आ सके। हालांकि दो देशों के बीच कर संधि में समझौते में संशोधन बहुत उबाउ प्रक्रिया होती है लेकिन वित्त मंत्रालय चाहता है कि इसे यथाशीघ्र पूरा कर लिया जाएगा। सिंगापुर के साथ कर संधि 2005 और साइप्रस के साथ समझौता 1995 में हुआ था। साइप्रस भारत में विदेशी निवेश के 10 शीर्ष स्रोतों में से एक है।
पिछले सप्ताह वित्त मंत्री अरूण जेटली ने भारत में साइप्रस के उच्चायुक्त देमित्रियस ए थियोफीलाकटोउ से मुलाकात की थी और माना जाता है कि इस दौरान कर संधि पर संशोधन के बारे में भी चर्चा हुई। मारीशस के साथ 34 साल पुरानी कर संधि में संशोधन के बाद इस तरह की अटकलें सामने आई थीं कि पूंजी लाभ कर से जुड़े अनुबंध सिंगापुर के जरिए आने वलो निवेश पर स्वत: ही लागू हो जाएंगे। बाद में वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि सिंगापुर संप्रु देश है और सरकार को उसके साथ संधि व इसके उपबंधों पर फिर से बातचीत करनी होगी।
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