नई दिल्ली। खाद्य मंत्रालय चीनी के 32 लाख टन के अनिवार्य निर्यात आदेश को वापस लेने पर विचार कर रही है। इसके अलावा वह चीनी कीमतों को नियंत्रण में लाने के लिए आयात शुल्क को भी कम कर सकती है। सरकार ने घरेलू बाजार से अधिशेष भंडार को निकालने के लिए के लिए चीनी मिलों को चालू 2015-16 के विपणन वर्ष में 32 लाख टन चीनी निर्यात को कहा था। मिलों ने अभी तक 14 लाख टन चीनी का निर्यात किया है।
सितंबर तक यह सिर्फ 15 लाख टन तक ही पहुंचने की संभावना है क्योंकि निर्यात एक तरह से रक चुका है। एक सूत्र ने कहा कि सरकार अनिवार्य चीनी निर्यात आदेश को वापस लेने पर विचार कर रही है, क्योंकि निर्यात नहीं हो रहा है। नीतिगत फैसले के बावजूद सरकार को मिलों को निर्यात करने के लिए कहना पड़ रहा है।
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कृषि लाभप्रद पेशा नहीं रह गया: संसदीय समिति
कृषि के हालात के प्रति चिंता जताते हुए संसद की एक समिति ने कहा कि यह क्षेत्र अब लाभप्रद पेशा नहीं रह गया है। समिति ने सरकार से इसे अधिक लाभप्रद बनाने को कहा है। भाजपा के सांसद हुकुमदेव नारायण यादव की अगुवाई वाले कृषि मामले की स्थायी समिति ने कहा कि लघु एवं सीमांत किसानों की हालत दयनीय है और समिति ने सरकार को इस क्षेत्र के लिए वित्तीय आवंटन बढ़ाने का सुझाव दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके अलावा कृषि के पेशे को किसी अन्य पेशे की तरह लाभप्रद बनाने की आवश्यकता है।
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