नई दिल्ली। भारत कार्बन उत्सर्जन को घटाने के लिए वर्ष 2030 तक 316 अरब डॉलर (करीब 23 लाख करोड़ रुपये) का निवेश करेगा। कुल निवेश रकम की ज्यादातर राशि नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर खर्च की जायेगी। ब्रोकरेज कंपनी बोफा सिक्योरिटीज ने बुधवार को यह बात कही। बोफा सिक्योरिटीज ने कहा कि यह निवेश पहले से अनुमानित छह लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त होगा, जिसे भारत 2015 में पेरिस जलवायु समझौते में शामिल होने के बाद से खर्च कर चुका है। जलवायु परिवर्तन पर ग्लासगो शिखर सम्मेलन से पहले संवाददाताओं से बात करते हुए कंपनी के अनुसंधान प्रमुख अमिश शाह ने कहा कि भारत कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए जमीनी स्तर पर काम करने वाले सबसे सक्रिय देशों में से एक रहा है। उन्होंने कहा कि कार्बन तटस्थता प्राप्त करने की समयसीमा की फिलहाल घोषणा न करके भारत ने सही किया है। दुनिया की अन्य सभी प्रमुख देशों ने भी यही किया है।
एक अनुमान के अनुसार कार्बन उत्सर्जन घटाने के प्रयासों से भारत को वर्ष 2015 से 2030 के बीच 106 गीगावॉट से अधिक ऊर्जा बचाने में मदद मिलेगी और 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में 1.1 अरब टन की कटौती होगी। शाह के मुताबिक भारत ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिये परमाणु ऊर्जा पर ज्यादा जोर नहीं देगा, इसका हिस्सा अलग अलग तरीके से उत्पन्न की गयी कुल ऊर्जा के 10 प्रतिशत से कम हिस्से में ही रहेगा। उनके मुताबिक ऊर्जा के नये क्षेत्रों में निवेश का बड़ा हिस्सा निजी क्षेत्रों के द्वारा किया जायेगा। शाह ने कहा कि देश की 100 प्रमुख कंपनियों में से एक चौथाई पहले ही कार्बन मुक्त होने का ऐलान कर चुकी हैं, जबकि इस बारे में कोई नियम भी नहीं आया है। इसके साथ रिपोर्ट में कहा गया है कि अन्य क्षेत्र जहां निवेश आना है उसमें कोयला संयंत्र तकनीकों में सुधार, सिंचाई संयंत्रों का डीजल से सौर पावर में बदलाव, रेलवे का इलेक्ट्रीफिकेशन, प्राकृतिक गैस और बिजली से चलने वाले वाहनों की हिस्सेदारी बढ़ाने में आवश्यक क्षेत्र शामिल हैं।