नई दिल्ली। सीमा पर चीन के चालबाजी के बाद भारत चीन को एक के बाद एक आर्थिक झटके दे रहा है। चीन के एप पर बैन के साथ साथ सरकार ने टेलिकॉम और रेलवे में चीनी कंपनियों को फायदा पहुंचाने वाले टेंडर रद्द कर दिए हैं वहीं सड़क निर्माण में चीनी कंपनियों पर रोक लगा दी गई है। अगले चरण में सरकार की नजर पावर सेक्टर पर है। एक न्यूज चैनल से बातचीत में ऊर्जा मंत्री ने संकेत दिए हैं कि सरकार पावर सेक्टर के लिए आयात नियमों में और सख्ती कर सकता है जिससे चीन की कंपनियों से उपकरणों के आयात पर नियंत्रण लगाया जा सके।
केंद्रीय मंत्री के मुताबिक सरकार आयात शुल्क में बढ़ोतरी करने का फैसला ले सकती है, जिससे उनके उपकरणों की कीमत बढ़ जाएगी और घरेलू कंपनियों के लिए मौके खुल सकेंगे। दरअसल चीनी कंपनियों के लिए कीमतों को कम रख पाना ही उनकी सबसे बड़ी खासियत है, सरकार इसी को देखकर आगे की रणनीति तय कर रही है। केंद्रीय मंत्री ने साथ ही साफ किया कि शुल्क में बढ़ोतरी के साथ साथ सरकार अन्य नियमों में भी बदलाव करेगी जिससे चीन की कंपनियों पर लगा लगाई जा सके।
आत्मनिर्भर भारत पर जोर देने के साथ ही सरकार चाहती है कि देश के सभी प्रमुख सेक्टर में भारतीय कंपनियों आगे बढ़ें। सीमा पर जवानों के हमले के बाद सरकार आत्मनिर्भरता के कदम के सहारे भी चीन को कड़ा जवाब देना चाहती है। दरअसल चीन की मीडिया में बार बार ऐसे तंज कसे जा रहे हैं कि भारत में फिलहाल चीन के प्रोडक्ट का कोई विकल्प नहीं है। वहीं चीन के उपकरणों और एप से देश की सुरक्षा को लेकर भी चिंताए खड़ी हो रही हैं। ऐसे में सरकार के द्वारा उठाए गए कदमों से साफ है कि वो सैन्य और आर्थिक दोनो ही तरीकों से चीन के जवाब देने की रणनीति पर काम कर रही है।