बेंगलुरु/कोलकाता। केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने कहा कि एक बार धूल छंटने और सुदृढ़ीकरण का दौर खत्म होने पर भारत में 8-10 बहुत ही प्रतिस्पर्धी सार्वजनिक बैंक होंगे। इस समय देश में सार्वजनिक क्षेत्र के 27 बैंक हैं। उन्होंने कहा कि सरकार अनेक कदम उठा रही है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ये बैंक गतिशील व प्रतिस्पर्धी हों, बैंकों के लिए इस समय बड़ा सुधार एजेंडा चल रहा है, निसंदेह रूप से हम अब इसके तीसरे चरण में हैं।
उन्होंने कहा, हमनें संचालन व प्रबंधन संबंधी सुधार किए हैं, हमने आस्ति गुणवत्ता समीक्षा की है और अब हम सुदृढ़ीकरण चरण में है, जहां हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि सुदृढ़ीकरण चरण के अंत में हमारे पास कुछ प्रतिस्पर्धी बैंक हों। उन्होंने कहा, इस समय सार्वजनिक क्षेत्र के 27 बैंक हैं। जब धूल छंट जाएगी तो मेरी राय में हमारे पास 8 से 10 प्रतिस्पर्धी बैंक होंगे। उनमें से कुछ बड़े वैश्विक बैंक होंगे, जबकि कुछ भिन्न बैंक होंगे।
एसबीआई का मानना सहयोगी बैंकों के साथ विलय से लागत घटेगी, कार्यक्षमता बढ़ेगी
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की चेयरमैन अरुंधति भट्टाचार्य ने कहा कि एसबीआई में इसके पांच सहयोगी बैंकों व भारतीय महिला बैंक के विलय से बचत की राह खुलेगी तथा बेकार मदों में कटौती होगी। उन्होंने विलय प्रक्रिया की लागत लगभग 3000 करोड़ रुपए रहने का अनुमान लगाया। भट्टाचार्य ने कहा, कुल मिलाकर विलय आपस में मिलने वाली इकाइयों के लिए सकारात्मक होगा क्योंकि इससे बचत होगी, ट्रेजरी परिचालन सुधरेगा तथा बेकारी दूर होगी।
एसबीआई के पांच सहयोगी बैंकों में एसबीबीजे, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद है। इससे पहले स्टेट बैंक के दो सहयोगी बैंक स्टेट बैंक ऑफ सौराष्ट्र और स्टेट बैंक ऑफ इंदौर का इसमें पहले ही विलय हो चुका है। उन्होंने कहा कि भारतीय महिला बैंक के आने से 1,000 करोड़ रुपए की पूंजी आएगी, जबकि सहयोगी बैंकों की स्थिर संपत्तियों के पुनर्मूल्यांकन से 700 करोड़ रुपए प्राप्त होंगे।