नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को कहा कि 2014 से 2019 के नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में भारत के करदाताओं की संख्या डबल से भी अधिक हो जाएगी। एक कार्यक्रम में अरुण जेटली ने कहा कि पहले करदाताओं की संख्या 3.8 करोड़ थी, वर्तमान में आयकर रिटर्न भरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 6.8 करोड़ हो गई है। यूएस इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम (यूएसआईएसपीएफ) में बोलते हुए उन्होंने आगे कहा कि चालू वित्त वर्ष के अंत तक भारत में कुल करदाताओं की संख्या बढ़कर 7.5 करोड़ हो जाने की उम्मीद है।
जेटली ने कहा कि यह मेरा खुद का अनुमान है कि 2014 से 2019 तक हम अपना टैक्स बेस लगभग डबल करने में सफल होंगे, जो पांच साल की अवधि में करना बहुत मुश्किल काम है। जब हम सत्ता में आए तब यहां केवल 3.8 करोड़ लोग ही आयकर रिटर्न जमा करते थे। चार साल में, यह संख्या बढ़कर 6.8 करोड़ हो गई है और मैं पूरी तरह से आश्वस्त हूं कि यह संख्या चालू वित्त वर्ष के अंत तक बढ़कर 7.5 करोड़ से 7.6 करोड़ के बीच पहुंच जाएगी।
उल्लेखनीय है कि अप्रैल-सितंबर अवधि में शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह (रिफंड देने के बाद) 14 प्रतिशत वृद्धि क साथ 4.44 लाख करोड़ रुपए रहा, जबकि सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह (रिफंड सहित) 16.7 प्रतिशत बढ़कर 5.47 लाख करोड़ रुपए रहा। बजट घाटे वाली भारतीय अर्थव्यस्था को इससे थोड़ी राहत मिली है। सालाना आधार पर टैक्स रिफंड भी 30.4 प्रतिशत बढ़कर 1.03 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया है।
जेटली ने कहा कि नए अप्रत्यक्ष कर ढांचे और प्रत्यक्ष कर में सुधार के परिणामस्वरूप ही राजस्व में वृद्धि हुई है। इसने हमें गरीबी से बाहर निकलने में मदद की है। जीएसटी को लागू करने पर जेटली ने कहा कि सरकार के इस कदम का कहीं भी विरोध नहीं हुआ और पहले साल में अप्रत्यक्ष कर देने वाले लोगों की संख्या में 74 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। नरेंद्र मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले पर जेटली ने कहा कि यह निर्णय बहुत ही मुश्किल था, लेकिन इसने अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने के केंद्र सरकार के इरादे को स्पष्ट करने में मदद की।