संयुक्त राष्ट्र। भारत 2050 तक एशिया-प्रशांत में कामकाजी लोगों में ग्रोथ के लिहाज से अग्रणी बन जाएगा। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक एक अरब लोग रोजगार बाजार में प्रवेश के लिए तैयार होंगे। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने अपनी ताजा क्षेत्रीय मानव विकास रिपोर्ट में कहा कि एशिया-प्रशांत के देशों में अब इतिहास में किसी भी पड़ाव के मुकाबले ज्यादा कामकाजी आबादी है जो उन्हें ग्रोथ के लिए छलांग लगाने का मौका प्रदान कर रहा है।
एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 68 फीसदी लोग कामकाजी उम्र के है और सिर्फ 32 फीसदी आश्रित हैं। इस क्षेत्र की जनसंख्या का आकार पिछले 65 साल में तिगुना हो गया है 2050 तक इसके 4.84 अरब डॉलर पर पहुंच जाने की उम्मीद है। रिपोर्ट में कहा गया कि इस क्षेत्र की कामकाजी आबादी लगातार बढ़ रही है और इसका कुल वैश्विक कामकाजी लोगों में 58 फीसदी योगदान है। यूएनडीपी के मुख्य अर्थशास्त्री थंगवेल पलानिवेल इस रिपोर्ट के मुख्य लेखक हैं। उन्होंने कहा, जिन देशों में ऐसे लोगों की आबादी अधिक होती है जो काम कर सकते हैं, बचत कर सकते हैं और कर अदा कर सकते हैं तो उनमें अपनी अर्थव्यवस्थाओं में बदलाव करने और स्वास्थ्य, शिक्षा तथा भावी संपन्नता के अन्य बुनियादी तत्वों में जोरदार निवेश की संभावना होती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की आबादी में काम-काज की आयु वाले लोगों का अनुपात घट रहा है जबकि भारत में ऐसी आबादी का अनुपात ऊंचा हो रहा है। उम्मीद है कि भारत में 2050 तक ऐसे लोगों की जनसंख्या करीब 1.1 अरब डॉलर हो जाएगी। इस क्षेत्र में 2045 तक कामकाजी उम्र वालों की संख्या 3.1 अरब के चरम पर होगी। रपट में कहा गया है, दक्षिण एशिया में किसी भी अन्य उप क्षेत्रों के मुकाबले कामकाजी उम्र के लोगों की तादाद अधिक रहेगी और 2055 तक यह 1.6 अरब तक पहुंच जाएगी। इसमें भारत का दबदबा रहेगा। भारत में 2050 तक रोजगार बाजार में प्रवेश के लिए 28 करोड़ और लोग तैयार होंगे और यह मौजूदा संख्या से एक तिहाई अधिक है।