नई दिल्ली। दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका और चीन में अगर अपने व्यापार को बचाने के लिए व्यापार युद्ध बढ़ता है तो इससे भारत को कुछ हद तक लाभ पहुंच सकता है, दुनिया में पैदा होने वाली कई कमोडिटीज का चीन सबसे बड़ा कंज्यूमर है, जबकि दूसरी तरफ अमेरिका कई कमोडिटीज का या तो सबसे बड़ा उत्पादक है या फिर सबसे बड़ा निर्यातक। चीन और अमेरिका में खपत होने वाली कई कमोडिटीज का भारत भी बढ़ा उत्पादक है, ऐसे में इन दोनो देशों के बीच व्यापार युद्ध छिड़ता है तो इसका फायदा भारत को पहुंच सकता है।
चीन, अमेरिका और भारत का व्यापार
चीन दुनियाभर में सोयाबीन, चावल और कपास की सबसे ज्यादा खपत करता है, अमेरिका सोयाबीन का सबसे बड़ा उत्पादक होने के साथ कपास का सबसे बड़ा निर्यातक है और चावल निर्यात में भी उसका बड़ा हिस्सा है। वहीं भारत दुनियाभर में कपास का सबसे बड़ा और चावल का दूसरा बड़ा उत्पादक है, साथ में भारतीय सोयाबीन उद्योग अपने सोयाबीन उत्पादों का निर्यात बढ़ाने के लिए चीन का दरवाजार खुलता हुआ देखना चाह रहा है।
भारत के कपास उद्योग और किसान को हो सकता है फायदा
भारत की कपास इंडस्ट्री का मानना है कि अमेरिका और चीन के बीच अगर खींचतान बढ़ती है तो इससे भारतीय कपास उद्योग के साथ कपास किसानों को लाभ पहुंच सकता है। देश में कपास उद्योग के संगठन कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट अतुल गनात्रा ने इंडिया टीवी को बताया कि चीन और अमेरिका में ट्रेड वार से भारतीय कपास निर्यात में इजाफा हो सकता है, उन्होंने बताया कि ट्रेड वार बढ़ा और चीन ने अमेरिका से कपास आयात को लेकर कुछ लगाम लगाई तो भारत से चीन को कपास का निर्यात मौजूदा 5-7 लाख गांठ (170 किलो) सालाना से बढ़कर 25-30 लाख गांठ तक पहुंच सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि खींचतान ज्यादा बढ़ी तो अमेरिका भी चीन में बनने वाले रेडिमेड कपड़ों के आयात को कम करने के लिए कदम उठा सकता है और इसका फायदा भी भारत को ही होगा।
देश के सोयाबीन उद्योग को हो सकता है लाभ
अमेरिका सोयाबीन का सबसे बड़ा उत्पादक है और चीन सबसे बड़ा उपभोक्ता, चीन अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए सालभर में लगभग 8 करोड़ टन सोयाबीन का आयात करता है जिसका बहुत बड़ा हिस्सा अमेरिका से आता है। दोनो देश सोयाबीन को लेकर एक दूसरे पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं, अगर दोनो देशों के बीच ट्रेड वार की खींचतान बढ़ती है यहां भी भारत को फायदा पहुंचने की उम्मीद बढ़ जाती है। भारत में हालांकि सोयाबीन का इतना ज्यादा उत्पादन नही होता कि चीन की खपत को पूरा कर सके लेकिन भारत में सोयाबीन से बनने वाले सोयामील को चीन में अच्छा बाजार मिल सकता है। देश में सोयाबीन इंडस्ट्री के संगठन सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन यानि सोपा के चेयरमैन डेविस जैन के मुताबिक इस बात की संभावना कम है कि चीन और अमेरिका सोयाबीन को लेकर किसी तरह का कदम उठाएंगे क्योंकि सोयाबीन को लेकर दोनो ही देश एक दूसरे पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं, लेकिन ऐसा अगर होता है तो भारतीय सोयाबीन उद्योग और सोयाबीन किसानों के लिए यह बहुत बड़ा फायदे वाला मौका हो सकता है। हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि चीन ने फिलहाल भारत से सोयामील आयात पर रोक लगा रखी है।
चीन है चावल का सबसे बड़ा उपभोक्ता, भारत सबसे बड़ा निर्यातक
चीन दुनिया में चावल का सबसे बड़ा आयातक और कंज्यूमर है वहीं भारत सबसे बड़ा निर्यातक है और अमेरिका भी चावल का बड़ा निर्यातक है। देश में चावल निर्यातकों के संगठन ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (AIREA) के कार्यकारी निदेशक राजन सुंदरेशन ने बताया कि चीन भले ही चावल का सबसे बड़ा आयातक और उपभोक्ता हो लेकिन वह भारत से आयात नहीं करता और अमेरिका से भी चीन को चावल का निर्यात नहीं होता। ऐसे में दोनो देशों के बीच अगर ट्रेड वार बढ़ता है तो इससे भारतीय चावल मार्केट पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।