नई दिल्ली। आने वाले वर्षों में, मैक्रो इकोनॉमिक ट्रेंड्स से उम्मीद की जा रही है 2030 तक भारत दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार बन जाएगा। केपीएमजी-फिक्की की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे रिटेल और कंज्यूमर गुड्स सेक्टर विशेषकर एफएमसीजी के लिए बड़े अवसर पैदा होंगे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के एफएमसीजी और रिटेल सेक्टर की ग्रोथ के पीछे की वजह 1991 के उदारीकरण के बाद मजबूत जीडीपी ग्रोथ से आई आर्थिक संपन्नता से उपभोग को बढ़ावा मिलना है। आय के स्तर में वृद्धि और बढ़ते शहरीकरण के साथ 1.29 अरब जनसंख्या के साथ भारत में ओवरऑल खर्च में बढ़ोतरी होने की संभावना है।
हो रही हैं कुछ गलतियां
रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके बावजूद इंडस्ट्री कुछ गलतियां कर रही है। सालों से दुनिया का सबसे बड़ा कृषि उत्पादक देश होने के बावजूद भारत में फूड प्रोसेसिंग का स्तर दुनिया में सबसे निचला है। उचित भंडारण और प्रभावी आपूर्ति चेन के अभाव में हर साल 40 फीसदी खाद्यान्न भारत में बर्बाद हो रहा है। यहां बहुत बड़ी मांग निकलने की संभावना है लेकिन एफएमसीजी ने अभी तक ग्रामीण भारत में अपनी पहुंच नहीं बनाई है और आधुनिक रिटेल अभी टियर-1 शहरों से नदारद है।
मेक इन इंडिया से मिलेगा सहारा
केपीएमजी रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि उपभोक्ताओं के नए वर्ग के साथ ही यह सभी समस्याएं अपने आप खत्म हो जाएंगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी के मेक इन इंडिया प्रोग्राम से एफएमसीजी और रिटेल सेक्टर के लिए तीन गुना ज्यादा अवसर पैदा होंगे। इस प्रोग्राम से इंपोर्ट का बोझ कम होगा और एक्सपोर्ट के नए अवसर बनेंगे, सप्लाई चेन और स्किल मैनपावर की उपलब्धता से मैन्युफैक्चरिंग की लागत कम होगी।
भारत बनेगा रीजनल एफएमसीजी मैन्युफैक्चरिंग हब
ईज ऑफ डूईंग बिजनेस, भूमि अधिग्रहण, निर्माण मंजूरी जैसी दिक्कतों को यदि जल्द ही खत्म कर लिया जाता है तो निर्यातोन्मुखी फूड और एग्री पार्क के साथ ही साथ ग्लोबल एफएमसीजी कंपनियों भारत में ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट्स की स्थापना करेंगी, जिससे भारत को साउथ एशिया, मिडल ईस्ट और अफ्रीका के लिए रीजनल एफएमसीजी मैन्युफैक्चरिंग हब बनने में मदद मिलेगी।