नयी दिल्ली। इस्पात मंत्रालय ने कहा कि भारत वैश्विक कच्चे इस्पात के उत्पादन के मामले में चीन के बाद दूसरा स्थान हासिल करने को लेकर आशान्वित है। उसने कहा कि सरकार ने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए द्वितीयक इस्पात निर्माताओं को प्रोत्साहित करने के लक्ष्य के साथ कदम उठाये हैं।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि प्राथमिक इस्पात क्षेत्र के साथ द्वितीयक इस्पात क्षेत्र में भी वृद्धि की असीम संभावनाएं हैं। मंत्रालय ने कहा है कि कम ऊर्जा खपत वाली परियोजनाओं (ऊर्जा संरक्षण एवं जीएचजी उत्सर्जन का नियंत्रण) और अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) से जुड़ी गतिविधियों के लिए सहायता प्रदान करना, संस्थागत सहायता को मजबूती प्रदान करना मंत्रालय की कोशिशों का हिस्सा है।
इसके साथ ही विदेश से लागत से भी कम कीमत पर होने वाले आयात से घरेलू उत्पादकों को एंटी-डंपिंग उपायों के जरिए संरक्षण प्रदान करना, कम ऊर्जा खपत वाली प्रौद्योगिकियों एवं अभिनव उपायों को अपनाने वाली प्रगतिशील इकाइयों (यूनिट) के उत्कृष्ट कार्यकलापों की सराहना एवं प्रोत्साहित करने के लिए एक पुरस्कार योजना शुरू करना भी इन अनगिनत पहलों में शामिल हैं।
गौरतलब है कि इस्पात मंत्रालय पहली बार द्वितीयक इस्पात क्षेत्र को पुरस्कार प्रदान करेगा। ये पुरस्कार 13 सितंबर, 2018 को यहां आयोजित होने वाले समारोह में दिए जाएंगे। सरकार के मुताबिक इन पुरस्कारों की शुरुआत द्वितीयक इस्पात क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए की गयी है।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि द्वितीयक इस्पात क्षेत्र राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और रोजगार सृजन के लिए एक विकास इंजन के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मंत्रालय ने कहा है कि ‘विकास के वर्तमान रुख को देखते हुए यह उम्मीद की जा रही है कि भारत इस क्षेत्र में ऊंची छलांग लगाकर चीन के बाद दूसरे पायदान पर पहुंच जाएगा।’