नई दिल्ली। देश जल्द ही फर्टिलाइजर उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने जा रहा है। सरकार ने डीएपी और एनपीके फर्टिलाइजर के सबसे अहम कच्चे माल रॉक फॉस्फेट को लेकर एक्शन प्लान तैयार कर लिया है। रसायन और उवर्रक राज्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने आज ये जानकारी दी। केंद्रीय मंत्री ने आज उवर्रक विभाग के अधिकारियों और इंडस्ट्री के लोगों के साथ बैठक के बाद ये जानकारी दी।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि फर्टिलाइजर डिपार्टमेंट ने रॉक फॉस्फेट में आत्मनिर्भर बनने की योजना तैयार कर ली है। रॉक फॉस्फेट फॉस्फेटिक फर्टिलाइजर डीएपी और एनपीके के उत्पादन के लिये काफी अहम है। उन्होने कहा कि इस आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की दिशा में बढ़ते हुए देश आने वाले समय में फर्टिलाइजर के उत्पादन में आत्मनिर्भर बन जायेगा।
कार्य योजना के मुताबिक देश को स्वदेशी संसाधनों के जरिए उर्वरक उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया जायेगा। इसी दिशा में केंद्रीय मंत्री ने राजस्थान, प्रायद्वीपीय भारत के मध्य भाग, हीरापुर (मध्य प्रदेश), ललितपुर (उत्तर प्रदेश), मसूरी सिंकलाइन, कडप्पा बेसिन (आंध्र प्रदेश) में उपलब्ध मौजूदा 30 लाख मीट्रिक टन फॉस्फोराइट का व्यावसायिक रूप से इस्तेमाल करने और उत्पादन बढ़ाने के भी निर्देश दिये। राजस्थान के सतीपुरा, भरूसारी व लखासर और उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में संभावित पोटाश अयस्क संसाधनों की खोज में तेजी लाने के लिए खनन विभाग और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के साथ चर्चा और योजना चल रही है। संभावित भंडारों का खनन जल्द से जल्द शुरू करने के लिए सभी विभाग संयुक्त रूप से काम कर रहे हैं। इस कार्य योजना में विदेशों से आयातित महंगे कच्चे माल की आयात निर्भरता को कम करने और इसे किसानों के लिए सुलभ व सस्ता बनाने के कदम शामिल हैं।
रॉक फॉस्फेट डीएपी और एनपीके उर्वरकों के लिए प्रमुख कच्चा माल है और इसके लिए भारत 90 फीसदी आयात पर निर्भर है। इसके अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में अस्थिरता उर्वरकों की घरेलू कीमतों को प्रभावित करती है और देश में कृषि क्षेत्र की प्रगति और विकास में बाधा डालती है। इन बातों को ध्यान में रखते हुए ही श्री मंडाविया ने भारत में उपलब्ध रॉक फॉस्फेट भंडार की खोज और खनन में तेजी लाने के लिए हितधारकों के साथ एक बैठक बुलाई थी।