नई दिल्ली। दुनिया के दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा ने कहा कि भारत में असमानता के अंतर्निहित वातावरण की समस्या है। राजनीतिक कारणों के चलते भारतीय समाज में जाति, धर्म और सांप्रदायिक आधार पर खाइयां पैदा की गई हैं। रतन टाटा का यह बयान देश में असहिष्णुता को लेकर जारी बहस के बीच आया है। उन्होंने टाटा ग्रुप के विभागीय प्रकाशन टाटा रिव्यू को एक साक्षात्कार में यह बात कही है। उन्होंने इस तरह की प्रवृत्ति के बारे में मशहूर उद्योगपति ने कहा, इससे कुछ लोगों को चुनावों में मदद मिल सकती है लेकिन वे देश में एकता का भाव लाने में मददगार नहीं है।
भारत समान अवसरों वाला, संगठित देश बने
टाटा ग्रुप के पूर्व प्रमुख टाटा इस समय टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन हैं। उन्होंने कहा कि उनकी बड़ी इच्छा है कि भारत समान अवसरों वाला, संगठित देश बने। उन्होंने कहा, अगर लोगों को उनकी पहचान और संपर्कों के बजाय उनकी वरीयता के आधार पर अध्ययन, काम और उन्नति का मौका मिलता है तो मुझे हमारे देश के लिए बहुत खुशी होगी। उन्होंने कहा, मैं जो कुछ कह रहा हूं उसमें धार्मिक मतभेद और असमानता के लिहाज से हम इस समय जिस दौर से गुजर रहे हैं, वह भी शामिल है।
रतन टाटा ने यहां किया निवेश
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राजनीतिक कारणों से बांट दिया गया देश
टाटा ने कहा, राजनीतिक कारणों के चलते हमें देश में जाति, धर्म और सांप्रदायिक समूहों में बांट दिया गया है। अब हम भारतीय के बजाय मराठी हैं, पंजाबी हैं, तमिल हैं। जिस दिन हम सब भारतीय बन जाएंगे, तब देश मजबूत हो जाएगा। उन्होंने कहा,मुझे हमेशा लगता है कि भारत में असमानता का माहौल तो अंतर्निहित है। उन्होंने कहा- अगर मैं भारतीय के रूप में अपनी सबसे बड़ी इच्छा को संक्षेप में कहूं तो मैं अपने देश पर समान अवसरों वाले देश के रूप में गर्व करना चाहता हूं।