नई दिल्ली। भारत ने देश में 5जी टेक्नोलॉजी को जल्द से जल्द शुरू करने की संभावनाओं को तलाशने और उनका अध्ययन करने के लिए ब्रिटेन की टॉप 3 शैक्षणिक संस्थाओं के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। भारत में टेलीकम्यूनिकेशंस के क्षेत्र में रिसर्च और डेवलपमेंट में लगी सरकारी एजेंसी सी-डॉट के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर विपिन त्यागी ने ब्रिटेन के किंग्स कॉलेज, यूनिवर्सिटी ऑफ सरे, यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
इन समझौतों पर भारत के दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा और ब्रिटेन में भारत के राजदूत वाईके सिन्हा की उपस्थिति में यहां इंडिया हाउस में हस्ताक्षर किए गए। समझौतों पर हस्ताक्षर के बाद मनोज सिन्हा ने कहा कि सी-डॉट और तीनों यूनिवर्सिटीज के लिए ये फायदे का सौदा है। भारत सरकार इस बात के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है कि हम दुनिया के साथ कदम मिलाकर आगे बढ़ें और हम अपने नागरिकों के फायदे के लिए 5जी टेक्नोलॉजी की संभावनाओं, विकास और जल्दी अपनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
इन समझौतों के तहत सी-डॉट और यूनिवर्सिटीज 5जी की नई संभावनाओं को तलाशने, जागरूकता बढ़ाने और 5जी को समझने के लिए यूज-बेस लैब की स्थापना करेंगे, जहां 5जी टेस्ट बेड्स को सपोर्ट, फील्ड ट्रायल और भारतीय संदर्भ में समाधान उपलब्ध कराने का काम होगा।
5जी से ब्रॉडबैंड यूजर्स के लिए स्पीड में बहुत अधिक सुधार आएगा। ऐसी भी उम्मीद है कि इससे ट्रांसपोर्ट, स्मार्ट सिटी, हेल्थ, मैन्युफैक्चरिंग, रेलवे, पब्लिक सेफ्टी और पावर में भी काफी सुधार आएगा। प्रमुख टेक्नोलॉजी जैसे मैसिव मीमो, मिलीमीटर वेव, नैरोबैंड आईओटी, क्लाउड-रैन आदि की स्पीड भी 10 गुना तक बढ़ने की उम्मीद है।
इन्नोवेशन की एप्लीकेशंस जैसे मशीन लर्निंग, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) और मोबाइल एज कम्प्यूटिंग (एमईसी) को लागू करने से टेलीकॉम नेटवर्क की प्रकृति बदल जाएगी और 5जी नेटवर्क में अधिक संख्या में डिवाइस को कनेक्ट और मैनेज किया जा सकेगा।