नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का कहना है कि बाहरी जोखिमों का प्रभाव कम करने और निवेश परिदृश्य सुधारने के लिए भारत को जीएसटी विधेयक पारित करवाने सहित राजकोषीय सुदृढ़ीकरण की सभी अन्य गतिविधियों को जारी रखना चाहिए। आईएमएफ की एक रिपोर्ट के अनुसार सरकार को सब्सिडी सुधारों को आगे बढाना चाहिए और घरेलू आपूर्ति बाधाओं को दूर करना चाहिए।
इस रिपोर्ट के अनुसार, बाहरी घटनाक्रमों के प्रभावों को कम करने और 2017-18 तक राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3 फीसदी पर लाने के सरकारी लक्ष्य को पाने के लिए, सतत राजकोषीय सुदृढ़ीकरण की जरूरत है जिसमें वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) विधेयक को पारित करवाना व सब्सिडी सुधारों का अगला चरण भी शामिल है। रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू आपूर्ति बाधाओं को दूर करने से निर्यात बढ़ेगा तथा अर्थव्यवस्था के लिए निवेश परिदृश्य में सुधार होगा।
अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए अन्य संभावित नीतिगत कदमों के रूप में नई मौद्रिक रूप रेखा को मजबूत बनाना शामिल है। यह काम रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति के मजबूत संस्थागत डिजाइन के जरिए किया जाना चाहिए। इसके साथ ही मौद्रिक उपायों का असर आम जनता तक पहुंचाने के रास्ते में आने वाली अड़चनों को दूर किया जाना चाहिए।