दावोस। यहां चल रहे विश्व आर्थिक सम्मेलन में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई नोटबंदी से जुड़ा एक बड़ा खुलासा हुआ। आईसीआईसीआई बैंक की अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी चंदा कोचर ने कहा कि नोटबंदी के बाद से भारत में वित्तीय बचत में काफी तेजी देखी जा रही है। उन्होंने कहा कि पिछले 18 महीने में वित्तीय बचत करीब 28 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गई है, जो थाईलैंड जैसे देश के पूरे जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के बराबर है।
विश्व आर्थिक मंच सम्मेलन में यहां भाग लेने आईं कोचर ने एक साक्षात्कार में कहा कि वित्तीय बचत के निवेश में नवंबर 2016 में हुई नोटबंदी के बाद से काफी तेजी आई है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था का औपचारिकरण और बैंकिंग लेन-देन का डिजिटलीकरण नोटबंदी के सबसे मुख्य फायदों में से हैं।
कोचर ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) तथा देश में हुए अन्य सुधारों के बारे में कहा कि सरकार ने कई संरचनात्मक सुधार किए हैं, जिससे अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है। उन्होंने कहा कि सरकार एक उत्कृष्ट नीतिगत ढांचा, समुचित वित्तीय प्रबंधन, मौद्रिक नीति ढांचे को मजबूत बनाने, महंगाई के जोखिम को कम करने, कारोबार सुगमता बढ़ाने और डिजिटल प्रौद्योगिकी को अपनाये जाने पर जोर दे रही है।
उन्होंने कहा कि जीएसटी और नोटबंदी जैसी पहलों ने अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने तथा बचत के वित्तीयकरण को तेज किया है। इन बदलावों से प्रतिमान गढ़े जा रहे हैं और मुझे उम्मीद है कि सरकार अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने वाले कदम पर आगे भी जोर देते रहेगी।
उन्होंने आगे कहा कि नोटबंदी का दूसरा बड़ा असर बैंकिंग लेन-देन के डिजिटलीकरण में तेजी है। नोटबंदी के दौरान नवंबर 2016 में मासिक यूपीआई लेन-देन 10 लाख था, जो दिसंबर 2017 में बढ़कर 14.5 करोड़ पर पहुंच गया। मोबाइल बैंकिंग लेन-देन भी लगभग दोगुना होकर अक्टूबर 2017 में करीब 15 करोड़ पर पहुंच गया। कोचर ने कहा कि इसी तरह नोटबंदी के बाद डेबिट कार्ड लेन-देन भी लगभग दोगुना हुआ है।