नई दिल्ली। पेट्रोल और डीजल की कीमतें रिकॉर्ड उच्चस्तर पर पहुंचने के बीच देश की ईंधन की खपत में फरवरी में लगातार दूसरे महीने गिरावट आई है। सितंबर के बाद से ईंधन की मांग अपने सबसे निचले स्तर पर आ गई है। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के पेट्रोलियम योजना एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ (पीपीएसी) के अनुसार, फरवरी में पेट्रोलियम उत्पादों की कुल खपत 4.9 प्रतिशत घटकर 1.72 करोड़ टन रह गई। पिछले महीने देशभर में पेट्रोल और डीजल के दाम अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए। हालांकि, पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अब सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम मार्केटिंग कंपनियों ने कीमतों में और वृद्धि रोकी हुई है।
देश में सबसे ज्यादा उपभोग वाले ईंधन डीजल की मांग फरवरी में 8.5 प्रतिशत घटकर 65.5 लाख टन रह गई। वहीं पेट्रोल की खपत 6.5 प्रतिशत घटकर 24 लाख टन पर आ गई। नाफ्था की बिक्री में कोई बदलाव नहीं हुई, लेकिन सड़क निर्माण में काम आने वाले बिटुमन की मांग में 11 प्रतिशत की गिरावट आई। इस दौरान रसोई गैस एलपीजी की बिक्री में 7.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। कच्चे तेल के आपूर्तिकर्ता समूह ओपेक की बृहस्पतिवार को जारी मासिक रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि 2021 में भारत की कच्चे तेल की मांग 13.6 प्रतिशत बढ़कर 49.9 लाख बैरल प्रतिदिन पर पहुंच जाएगी। 2020 में भारत की तेल की मांग 10.54 प्रतिशत घटकर 44 लाख बैरल प्रतिदिन पर आ गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्साहवर्धक वृहद आर्थिक संकेतकों के साथ देशभर में कोविड-19 के मामलों में कमी से 2021 में भारत का कच्चे तेल की मांग का परिदृश्य अच्छा नजर आता है।