नई दिल्ली। देश में विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में अप्रैल महीने में मामूली सुधार हुआ है। इसकी प्रमुख वजह नए ऑर्डर में तेजी, मांग की अनुकूल स्थितियों के बीच महंगाई के दबाव का कम होना रहा। एक मासिक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई। निक्केई इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) अप्रैल महीने में 51.6 पर रहा। यह देश की विनिर्माण गतिविधियों की सेहत में सुधार को दर्शाता है। मार्च में PMI 51.0 पर था। सर्वेक्षण में कहा गया है कि मुद्रास्फीति दबाव में लगातार दूसरे महीने सुधार हुआ है।
इस बीच, खुदरा महंगाई दर में गिरावट और ग्रोथ को बढ़ावा देने की आवश्यकता के चलते भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के ब्याज दर में कटौती करने की उम्मीद है। पिछले महीने वित्त वर्ष 2018-19 की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीतिगत बैठक में RBI ने रेपो दर को 6 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा था।
यह लगातार 9वां महीना है जब विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) क्षेत्र का पीएमआई 50 अंक के स्तर से ऊपर बना हुआ है। पीएमआई का 50 से ऊपर विनिर्माण क्षेत्र में विस्तार, जबकि 50 से नीचे रहना संकुचन दर्शाता है।
आईएचएस मार्किट की अर्थशास्त्री और रिपोर्ट की लेखिका आशना डोढिया ने कहा कि मजबूत मांग की स्थितियों से भारत के विनिर्माण क्षेत्र ने तिमाही की शुरुआत में थोड़ी मजबूत रही। मजबूत उत्पादन आवश्यकताओं ने रोजगार सृजन को बढ़ावा दिया और कंपनियों को कच्चे माल खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया। सर्वेक्षण में कहा गया है कि जीएसटी लागू होने के बाद से कारोबारी रुख सबसे मजबूत स्तर पर हैं।