मुंबई। कीमतों में उतार-चढ़ाव और कोरोना वायरस की वजह से छायी आर्थिक अनिश्चिता के चलते जनवरी-मार्च तिमाही में देश की स्वर्ण मांग 36 प्रतिशत घट गयी। तिमाही के अंत में देशव्यापी लॉकडाउन (बंद) किए जाने के बीच यह 101.9 टन रह गयी। विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) की नवीनतम रपट के अनुसार आभूषण और निवेश दोनों ही परिस्थितियों में स्वर्ण मांग घटी है। जब तक आभूषण उद्योग के कारीगर काम पर नहीं लौट आते और आपूर्ति श्रृंखला को जल्द से जल्द शुरू नहीं कर लिया जाता, तब तक आगे के हालात भी 'चुनौतीपूर्ण' रहने की आशंका है। समीक्षावधि में देश की स्वर्ण मांग 37,580 करोड़ रुपये रही। यह 2019 की इसी तिमाही में 47,000 करोड़ रुपये की स्वर्ण मांग से 20 प्रतिशत कम है।
परिषद के भारतीय परिचालन के प्रबंध निदेशक सोमसुंदरम पीआर ने कहा कि समीक्षावधि में घरेलू बाजार में सोने की कीमतों में भारी उछाल देखने को मिला। सीमाशुल्क और कर की गणना किए बगैर सोने का मूल्य करीब 25 प्रतिशत बढ़कर 36,875 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गया। पिछले साल इसी अवधि में यह कीमत 29,555 रुपये थी। उन्होंने कहा कि इस अवधि में भारत की स्वर्ण मांग घटने के कई कारण रहे। कीमतों के ऊंचे और अस्थिर रहने के साथ-साथ बंद की वजह से आवाजाही पर पाबंदी, मालवहन में परेशानी और आर्थिक अनिश्चिता की वजह से यह मांग गिरी है।
इस बीच आभूषण की कुल मांग 41 प्रतिशत गिरकर 73.9 टन रही जो पिछले साल इस दौरान 125.4 टन थी। रुपये में यह मांग 27 प्रतिशत घटकर 27,230 करोड़ रुपये रही। पिछले साल इसी अवधि में यह 37,070 करोड़ रुपये थी। वहीं निवेश के लिए की जाने वाली स्वर्ण मांग इस दौरान 17 प्रतिशत घटकर 28.1 टन रही। हालांकि रुपये में यह मूल्य सालाना आधार पर चार प्रतिशत बढ़कर 10,350 करोड़ रुपये रहा। कोरोना वायरस संकट के बीच वैश्विक स्तर पर शेयर बाजारों में उथल-पुथल मची हुई है। कच्चे तेल की कीमतें ऐतिहासिक तौर पर निचले स्तर पर बनी हुई हैं। ऐसे में निवेशक स्वर्ण को सुरक्षित निवेश के तौर पर देख रहे हैं। सालाना आधार पर जनवरी-मार्च में सोने की वैश्विक मांग एक प्रतिशत बढ़कर 1,083.8 टन रही है। पिछले साल सोने की वैश्विक मांग 1,070.8 टन थी। बता दें कि कोरोना वायरस के चलते देश में 3 मई तक लॉकडाउन लागू किया गया है।