नई दिल्ली। भारत के शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य की ओर बढ़ने के साथ 2050 तक देश की जीडीपी में 406 अरब डॉलर की वृद्धि होगी और 4.3 करोड़ से अधिक रोजगार अवसरों का सृजन होगा। वैश्विक थिंक टैंक ‘ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन’ (ओआरएफ) की एक रिपोर्ट में यह बात कही गयी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में 2021 के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन, सीओपी-26 में भारत के लिए 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य की घोषणा की थी। साथ ही, भारत 2030 तक कम कार्बन उत्सर्जन वाली अपनी विद्युत क्षमता को 500 गीगावाट तक बढ़ाने और 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा से अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का 50 प्रतिशत पूरा करने का लक्ष्य बना रहा है।
ओआरएफ के एक बयान में कहा गया है, "भारत का 2070 का शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य महत्वपूर्ण और सराहनीय है, लेकिन यह बेहद महत्वाकांक्षी भी है।" 'शेपिंग आवर ग्रीन फ्यूचर: पाथवे एंड पॉलिसी फॉर अ नेट-जीरो ट्रांसफॉर्मेशन' रिपोर्ट में स्थिरता और विकास के दोहरे लक्ष्यों को संतुलित करते हुए इस बदलाव की ओर बढ़ने के लिए जरूरी संरचनात्मक परिवर्तन और गति वर्धक कारकों के बारे में बताया गया है।
ब्रिटेन के ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र सीओपी-26 के राष्ट्राध्यक्ष और शासनाध्यक्ष सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए प्रधानमंत्री मोदी भारत की पांच प्रतिबद्धताएं गिनाई जिसमें वर्ष 2070 तक शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करना, राष्ट्रीय प्रतिबद्ध योगदान (एनडीसी) के तहत गैर जीवाश्म ईंधन ऊर्जा क्षमता को 450 गीगा वाट से बढ़ाकर 500 गीगावाट करना जिसके लिये 2030 की समयसीमा रखी गयी। वहीं 2030 तक अपनी ऊर्जा जरूरतों का 50 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा से प्राप्त करना, अब से 2030 के बीच अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में एक अरब टन की कटौती करना और कार्बन की गहनता में 45 प्रतिशत तक कटौती करना शामिल है। ’’