नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर 2017) में भारत की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत दर्ज की गई है। विनिर्माण और खर्च में तेजी आने से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर को बढ़ने में सहारा मिला है। जीडीपी वृद्धि दर का यह आंकड़ा अर्थव्यवस्था को नवंबर 2016 के नोटबंदी और जुलाई 2018 के जीएसटी जैसे दो नीतिपरक झटकों से उबरने का संकेत देते हैं। वित्त वर्ष 2017-18 में भारत की वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत रहेगी, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 7.1 प्रतिशत रही थी।
चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के दौरान जीडीपी की वृद्धि दर 6.5 फीसदी थी। वित्त वर्ष 2017-18 की जीडीपी स्थिर (2011-12) कीमतों के आधार पर 130.04 लाख करोड़ रुपए रहेगी। वित्त वर्ष 2016-17 का पहला संशोधित अनुमान 121.96 लाख करोड़ रुपए का था, जिसे 31 जनवरी 2018 को जारी किया गया था।
यह नंबर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी थोड़ी राहत देंगे, जो सरकारी बैंकों में बढ़ते एनपीए और सार्वजनिक क्षेत्र के पंजाब नेाश्नल बैंक में हुए 11300 करोड़ रुपए के घोटाले को लेकर आलोचनाओं से घिरे हैं। पीएनबी घोटाले को बैंकिंग इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला बताया जा रहा है।
जीडीपी का यह नया आंकड़ा भारत को एक बार फिर दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था का तमगा हासिल करने में मददगार होगा। अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में चीन की जीडीपी वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रही है, जबकि भारत की वृद्धि दर इससे ज्यादा है।
पिछले हफ्ते पीएम मोदी ने उद्योगपतियों से कहा था कि उनकी सरकार, सरकारी बैंकों में तनावग्रस्त ऋण और कई उद्यमों के उसे न चुकाने जैसी दोहरी समस्या विरासत में मिली है, अर्थव्यवस्था को उच्च विकास पथ पर वापस लाने का भरसक प्रयास कर रही है।