नई दिल्ली। देश में ईंधन की मांग नवंबर में सालाना आधार पर 3.6 प्रतिशत घट गई। हालांकि, इससे पिछले महीने अक्टूबर में ईंधन खपत सामान्य स्तर पर पहुंच गई थी, लेकिन नवंबर में एक बार फिर इसमें गिरावट रही। पेट्रोलियम मंत्रालय के योजना एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ द्वारा प्रकाशित अस्थायी आंकड़ों के अनुसार नवंबर में पेट्रोलियम उत्पादों की कुल मांग घटकर 1.78 करोड़ टन रह गई, जो नवंबर, 2019 में 1.85 करोड़ टन थी। हालांकि, परिवहन और कारोबारी गतिविधियों में सुधार से ईंधन की खपत माह-दर-माह आधार पर लगातार तीसरे महीने बढ़ी है। अक्टूबर में देश में ईंधन की खपत 1.77 करोड़ टन रही थी। फरवरी के बाद अक्टूबर पहला महीना रहा जबकि सालाना आधार पर ईंधन की मांग बढ़ी थी। त्योहारी सीजन से पहले डीजल की मांग बढ़ने से अक्टूबर में ईंधन की कुल मांग कोविड-19 पूर्व के स्तर पर पहुंच गई थी। अक्टूबर में सालाना आधार पर पेट्रोलियम उत्पादों की मांग में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी।
पेट्रोल की खपत सितंबर में ही कोविड-पूर्व के स्तर पर पहुंच गई थी। वहीं, डीजल की खपत अक्टूबर में सामान्य हो पाई थी। हालांकि, नवंबर में मांग में फिर गिरावट आई है। अक्टूबर में जहां डीजल की मांग में सालाना आधार पर 7.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी, वहीं नवंबर में यह 6.9 प्रतिशत घटकर 70.4 लाख टन रह गई है। मासिक आधार पर हालांकि मांग में मामूली सुधार हुआ है। अक्टूबर में यह 69.9 लाख टन रही थी।
औद्योगिक ईंधन के रूप में इस्तेमाल होने वाले नाफ्था की मांग नवंबर में 7.7 प्रतिशत बढ़कर 13 लाख टन पर पहुंच गई। इसी तरह सड़क निर्माण में काम आने वाले बिटुमेन की मांग 18 प्रतिशत बढ़कर 6,92,000 टन पर पहुंच गई। एलपीजी एकमात्र ईंधन है जिसकी मांग लॉकडाउन के दौरान भी बढ़ी थी। सरकार ने इस दौरान गरीबों को मुफ्त में रसोई गैस सिलेंडर दिए थे। नवंबर में एलपीजी की मांग चार प्रतिशत बढ़कर 23 लाख टन पर पहुंच गई। हालांकि, मासिक आधार पर इसमें 2.8 प्रतिशत की गिरावट आई है। विमान ईंधन एटीएफ की बिक्री नवंबर में करीब 50 प्रतिशत घटकर 3,72,000 टन रही है। इसकी वजह है कि अभी एयरलाइंस का परिचालन सामान्य नहीं हो पाया है। हालांकि, मासिक आधार पर एटीएफ की मांग पांच प्रतिशत सुधरी है।