नई दिल्ली। भारत के को-वर्किंग स्पेस बाजार के 2023 तक पांच करोड़ वर्ग फीट के दायरे को पार करने की संभावना है। वैश्विक संपत्ति सलाहकार जेएलएल की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले तीन से चार वर्षों में फ्लेक्सिबल स्पेस सेग्मेंट में औसतन लगभग 15-20 प्रतिशत प्रति वर्ष की बढ़त की संभावना है।
वर्तमान में भारत के कुल कार्यालय स्टॉक में लचीले स्थानों की बाजार पहुंच तीन प्रतिशत है। रिपोर्ट में कहा गया है, "देश में 2021 और उसके बाद फ्लेक्स स्पेस मार्केट में धीमी गति मगर अधिक व्यवस्थित रूप से बढ़ने का अनुमान है।" रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कई अल्पकालिक व्यवधानों और चुनौतियों के बावजूद बड़े उद्यमों से मांग में वृद्धि, फ्लेक्स स्पेस मार्केट को 2023 तक पांच करोड़ वर्ग फुट से अधिक करने में सहायता मिलेगी।
जेएलएल के सीईओ और भारत के प्रमुख रमेश नायर ने कहा, "फ्लेक्स स्पेस ऑपरेटर्स ने अपने इनोवेटिव ऑफर्स के साथ वाणिज्यिक अचल संपत्ति (कमर्शियल रियल एस्टेट) का चेहरा बदल दिया है। यह बाजार पूरे 2021 और उसके बाद स्थिर गति से बढ़ने का अनुमान है।" उन्होंने कहा कि कुल कार्यालय स्पेस में फ्लेक्स बाजार प्रवेश से वर्तमान तीन प्रतिशत से 2023 तक धीरे-धीरे 4.2 प्रतिशत वृद्धि देखी जा सकती है।
नायर ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि कोविड-19 के प्रभाव के कारण धीमी गति से यह वृद्धि जारी रहेगी। वर्तमान में, बेंगलुरू और दिल्ली-एनसीआर में भारत के फ्लेक्स स्पेस स्टॉक का 50 प्रतिशत से अधिक हिस्सा शामिल है, जिसमें बेंगलुरू में लगभग 1.06 करोड़ वर्ग फुट का स्पेस है। इसके बाद 45 लाख वर्ग फीट के साथ हैदराबाद और 43 लाख वर्ग फीट फ्लेक्स ऑफिस स्टॉक के साथ मुंबई का नंबर आता है। जेएलएल के अनुसार, हैदराबाद और पुणे वर्तमान में देश के सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों में से हैं।