नई दिल्ली। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने आज कहा कि देश की आर्थिक वृद्धि दर अगले दो साल में 8 प्रतिशत को पार कर सकती है। सरकार अगले सात-आठ साल में अर्थव्यवस्था के आकार को दोगुना कर 5,000 अरब डॉलर तक पहुंचाने के लिए नई औद्योगिक नीति बनाने समेत कई कदम उठा रही है। सरकार की चार साल की उपलब्धियों के बारे में बातचीत करते हुए उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा कि हम आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए कुछ रणनीतियों पर काम कर रहे हैं। हम अब इसमें तेजी देख रहे हैं।
प्रभु ने भरोसा जताया कि 2018-19 में वृद्धि दर पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले बेहतर रहेगी। उन्होंने कहा कि मुझे इसमें कोई अचंभा नहीं होना चाहिए कि अगली कुछ तिमाहियों, कहे तो अगले दो साल में निश्चित रूप से हम 8 प्रतिशत वृद्धि दर के आंकड़े को पार करने के करीब होंगे। यह कई क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन से होने जा रहा है।
देश की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर पिछले वित्त वर्ष की जनवरी-मार्च तिमाही में 7.7 प्रतिशत रही। इसके साथ भारत ने तेजी से वृद्धि करने वाली अर्थव्यवस्था का तमगा बरकरार रखा है। हालांकि, सालाना आधार पर 2017-18 में वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रही, जो इससे पूर्व वित्त वर्ष में 7.1 प्रतिशत थी।
प्रभु ने कहा कि आठ प्रतिशत संभावित वृद्धि के लिए सरकार नई औद्योगिक नीति बनाने समेत कई क्षेत्रों पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि हमने 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था का दृष्टिकोण रखा है। इसमें से 1,000 अरब डॉलर विनिर्माण क्षेत्र से , 3000 अरब डॉलर सेवा तथा 1,000 अरब डॉलर कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों से आएगा।
यह पूछे जाने पर कि इस सप्ताह रिजर्व बैंक के नीतिगत दर (रेपो) में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि का क्या असर होगा, मंत्री ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि इससे निवेश प्रभावित होना चाहिए। अगले सप्ताह अपनी अमेरिका यात्रा के बारे में प्रभु ने कहा कि वह वाणिज्य मंत्री तथा उद्योग जगत के प्रमुखों से मिलेंगे और वीजा नियमों को कड़ा करने को लेकर भारत की चिंता को रखेंगे।