संयुक्त राष्ट्र। भारत में कंप्यूटर सेवाओं के घरेलू बाजार में निर्यात की तुलना में अधिक तेजी से वृद्धि होने का अनुमान है। घरेलू बाजार को सरकार के डिजिटल भारत कार्यक्रम तथा देश में उभर रहे स्टार्टअप माहौल से समर्थन मिलने की उम्मीद है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गयी है।
संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन (अंकटाड) ने एक रिपोर्ट में कहा, भारत में कंप्यूटर सेवा उद्योग घरेलू बाजार की जरूरतों को पूरा करने में योगदान बढ़ा रहा है तथा इस दिशा में निर्यात से प्राप्त अनुभव का लाभ उठा रहा है। इसके साथ ही इस तरह के निर्यात पर अधिक निर्भरता को भी कम कर रहा है।
अंकटाड ने कहा कि 2010 से 2017 के बीच सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) क्षेत्र की हिस्सेदारी में वृद्धि के हिसाब से भारत चौथे स्थान पर है। उसने कहा 'भारत में कंप्यूटर सेवाओं के घरेलू बाजार में निर्यात की तुलना में तेज वृद्धि का अनुमान है जिसे सरकार के डिजिटल भारत कार्यक्रम, स्टार्टअप, वेंचर कैपिटल तथा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम (एमएसएमई) द्वारा कंप्यूटर के बढ़ते इस्तेमाल से समर्थन मिल रहा है।'
अंकटाड की पहली डिजिटल अर्थव्यवस्था रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक जीडीपी में वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था की साढ़े चार प्रतिशत से साढ़े पंद्रह प्रतिशत की हिस्सेदारी है। आईसीटी क्षेत्र में हुए मूल्यवर्धन में चीन और अमेरिका की करीब 40 प्रतिशत हिस्सेदारी है। मूल्यवर्धन के हिसाब से अमेरिका का आईसीटी क्षेत्र करीब एक हजार अरब डॉलर का है और विश्व में शीर्ष पर है। यह चीन की तुलना में लगभग दोगुना है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि विकासशील देशों में भारत की हिस्सेदारी सर्वाधिक है। आईसीटी विनिर्माण में वृद्धि के दम पर ताईवान जीडीपी में आईसीटी की हिस्सेदारी में आयी बढ़त के मामले में पहले स्थान पर है। भारत का स्थान चौथा है। ई-वाणिज्य की बिक्री के मामले में 2017 में भारत नौवें स्थान पर रहा। यह बिक्री 400 अरब डॉलर की रही जो जीडीपी का 15 प्रतिशत है।