नई दिल्ली। मोर्गन स्टेनली के अनिल अग्रवाल के मुताबिक यूपीआई आधारित पेमेंट्स सिस्टम की सफलता के बल पर भारत में डिजिटल पेमेंट्स तीन गुना बढ़कर जीडीपी के 7 प्रशितत के बराबर पहुंच गया है। तीन साल पहले यह जीडीपी का केवल 2.5 प्रतिशत था। मोर्गन स्टेनली के मैनेजिंग डायरेक्टर अनिल अग्रवाल ने कहा कि सरकार, बैंकों और नियामकों के भरपूर प्रयास का यह परिणाम है। हर चीज बढ़ रही है, चाहे वो डेबिट कार्ड ट्रांजैक्शन हो या क्रेडिट कार्ड ट्रांजैक्शन।
नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा 2016 में शुरू किया गया यूपीआई-आधारित पेमेंट्स सिस्टम ने रिटेलर्स, एयरलाइंस और अन्य इकाइकयों द्वारा संचालित मोबाइल एप्स को सीधे ग्राहक के खाते से पेमेंट लेने की अनुमति दी। ब्लूमबर्ग की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक यूपीआई ट्रांजैक्शन में वृद्धि हुई है और इसने प्रमुख डिजिटल पेमेंट कंपनियों जैसे मास्टरकार्ड और वीजा को नुकसान पहुंचाया है। इन कंपनियों का मार्केट शेयर घटा है, जो इन्होंने पिछले 30 सालों की मेहनत से बनाया था।
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने भीम (भारत इंटरफेस फॉर मनी) नामक एक एप विकसित की है, जो यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) पर आधारित है, जोकि यूजर्स को बिना इंटरनेट के भी डिजिटल पेमेंट्स करने की अनुमति देता है।
यूपीआई अगस्त 2016 में शुरू हुआ था। पहले 3-4 तिमाहियों में यह बहुत धीमा था। लेकिन पिछले सितंबर से इसमें 8 गुना वृद्धि हुई है। यह प्रत्येक दो-तीन महीने में दोगुना हो रहा है। इसका कारण यह है कि नई कंपनियां आ रही हैं। इसलिए वे यूपीआई पर अपेक्षाकृत सहज इंटरफेस प्रदान करने में सक्षम हैं।
प्रसिद्ध अर्थशास्त्री नौरियल रुबीनी ने भारत के इन्नोवेटिव और फ्री देशी डिजिटल पेमेंट ईकोसिस्टम भीम यूपीआई के बारे में कहा है कि यह डिजिटल पेमेंट्स का भविष्य है। रुबीनी ने एक ट्वीट में कहा है कि भारत का यूपीआई आधारित सिस्टम, डिजिटल पेमेंट्स का भविष्य है और इसका पहले से ही अरबों लोगों द्वारा उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत का भीम यूपीआई डिजिटल पेमेंट सिस्टम में एक वास्तविक फिनटेक क्रांति है। मोर्गन स्टेनली का अनुमान है कि 2023 तक भारत का डिजिटल पेमेंट्स जीडीपी के 10 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा।