मुंबई: देश में बैंक ऋण वृद्धि दर बेशक 2020- 21 में 5.56 प्रतिशत पर 59 साल के सबसे निचले स्तर तक गिर गई है लेकिन 2020 में बैंक ऋण का स्तर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 56 प्रतिशत पर पहुंच गया। यह पांच साल का उच्चतम बैंक कर्ज अनुपात है। इस वृद्धि के बावजूद यह स्तर समकक्ष देशों के अनुपात से कहीं कम है और जी20 देशों के समग्र औसत के मुकाबले आधा है।
बैंक आफ इंटरनेशनल सैटलमेंट्स (बीआईएस) के नवीनतम आंकड़ों में यह जानकारी सामने आई है। बीआईएस के ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश में 2020 के अंत में कुल बकाया बैंक ऋण 1,52,000 करोड़ डालर पर जीडीपी के 56.075 प्रतिशत के बराबर रहा। लेकिन यह आंकड़ा एशिया के समकक्ष देशों के के बीच दूसरा सबसे कम स्तर है। उभरते बाजारों वाले देशों में बैंक कर्ज जीडीपी का 135.5 प्रतिशत और विकसित देशों में 88.7 प्रतिशत है।
कोरोना महामारी के प्रभाव से उबरने के लिये 2020 में सरकार की ओर से रिण- केन्द्रित प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा के बावजूद साल दर साल रिण वृद्धि में मात्र 5.56 प्रतिशत की ही वृद्धि हुई। पिछले 59 साल में यह सबसे कम वृद्धि रही। इससे पहले वित्त वर्ष 1961- 62 में यह 5.38 प्रतिशत रही थी। यहां तक कि इससे पिछले वित्त वर्ष 2019- 20 में भी ऋण वृद्धि 58 साल के निचले स्तर 6.14 प्रतिशत पर रही थी।
स्टेट बैंक के हाल में जारी एक विश्लेषण शोध में यह दर्शाया गया है। विश्लेषकों का मानना है कि बैंक रिण वृद्धि आर्थिक वृद्धि का एक महत्वपूर्ण संकेतक होता है। जीडीपी के मुकाबले 100 प्रतिशत अनुपात यदि रहता है तो इससे अर्थव्यवसथा में बिना किसी आशंका के कर्ज की मांग काफी अच्छी रहती है। बहरहाल देश का बेंक ऋण अनुपात 56 प्रतिशत पर पांच साल का उच्चस्तर है जो कि 2015 में 64.8 प्रतिशत था।