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FY21 में 5.3 प्रतिशत सिकुड़ेगी भारतीय अर्थव्यवस्था, इंडिया रेटिंग्स ने जताया अनुमान

पूरे वित्त वर्ष के दौरान अर्थव्यवस्था में गिरावट आएगी ही, प्रत्येक तिमाही के दौरान भी अर्थव्यवस्था नीचे आएगी।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: June 24, 2020 15:04 IST
India Ratings sees a historic slump in growth due to coronavirus- India TV Paisa
Photo:GOOGLE

India Ratings sees a historic slump in growth due to coronavirus

नई दिल्‍ली। इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च का भारतीय अर्थव्यवस्था के चालू वित्त वर्ष 2020-21 में 5.3 प्रतिशत सिकुड़ने का अनुमान है। देश के इतिहास में यह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की सबसे निचली वृद्धि दर होगी। रेटिंग एजेंसी ने बुधवार को कहा कि अर्थव्यवस्था में संकुचन का यह छठा अवसर होगा। रेटिंग एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी की वजह से उत्पादन की रफ्तार और स्तर पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ा है। आपूर्ति श्रृंखला और व्यापार श्रृंखला टूट गई है। विमानन, होटल और आतिथ्य क्षेत्र में गतिविधियां पूरी तरह ठप (हालांकि, अब कुछ गतिविधियां शुरू हो रही हैं) हो गई हैं। ऐसे में पूरे वित्त वर्ष 2020-21 में आर्थिक गतिविधियों के सामान्य होने की उम्मीद नहीं है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पूरे वित्त वर्ष के दौरान अर्थव्यवस्था में गिरावट आएगी ही, प्रत्येक तिमाही के दौरान भी अर्थव्यवस्था नीचे आएगी। हालांकि, एजेंसी का मानना है कि अगले वित्त वर्ष यानी 2021-22 में अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटेगी और पांच से छह प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करेगी। रिपोर्ट कहती है कि आधार प्रभाव तथा घरेलू और वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति सामान्य होने की वजह से अगले वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था वृद्धि दर्ज करेगी।

इंडिया रेटिंग्स ने कहा कि 2020-21 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 5.3 प्रतिशत की गिरावट आएगी। रिपोर्ट कहती है कि यह देश के इतिहास में सबसे निचली जीडीपी की वृद्धि दर होगी। भारत के जीडीपी आंकड़े 1950-51 से उपलब्ध हैं। इसके अलावा यह छठा अवसर होगा जबकि अर्थव्यवस्था में गिरावट आएगी। इससे पहले वित्त वर्ष 1957-58, 1965-66, 1966-67, 1972-73 और 1979-80 में भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट आई थी। इससे पहले वित्त वर्ष 1979-80 में आर्थिक वृद्धि दर सबसे निचले स्तर पर गई थी। तब देश की आर्थिक वृद्धि दर शून्‍य से 5.2 प्रतिशत नीचे थी।

सरकार ने कोविड-19 के प्रतिकूल प्रभाव से निपटने के लिए 12 मई, 2020 को 20.97 लाख करोड़ रुपए यानी जीडीपी के 10 प्रतिशत के बराबर आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी। हालांकि, इंडिया रेटिंग्स की गणना के अनुसार इस पैकेज का सीधा वित्तीय प्रभाव सिर्फ 2.145 लाख करोड़ रुपए या जीडीपी का 1.1 प्रतिशत है। इसमें मौद्रिक उपाय और आम बजट के मौजूदा प्रस्ताव शामिल नहीं हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक पैकेज में ऋण और नकदी प्रबंधन के जो उपाय किए गए हैं और साथ में रिजर्व बैंक के पूर्व में घोषित उपायों से अर्थव्यवस्था के आपूर्ति पक्ष के मुद्दों को हल करने में मदद मिलेगी।

रिपोर्ट कहती है कि कोविड-19 से संबंधित लॉकडाउन से पहले से ही भारतीय अर्थव्यवस्था में मांग पक्ष की समस्या थी। लॉकडाउन और उसके अर्थव्यवस्था और आजीविका पर प्रभाव से उपभोक्ता मांग और प्रभावित हुई है।

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