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Ease of Doing Business: छोटे निवेशकों के हित संरक्षण में भारत का चौथा स्थान

दिवाला एवं शोधन संहिता सुधारों की श्रृंखला के क्रियान्वयन के परिणामस्वरूप छोटे निवेशकों के हितों की रक्षा के संदर्भ में भारत चौथे स्थान पर पहुंच गया है।

Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published : October 31, 2017 21:20 IST
Ease of Doing Business: छोटे निवेशकों के हित संरक्षण में भारत का चौथा स्थान
Ease of Doing Business: छोटे निवेशकों के हित संरक्षण में भारत का चौथा स्थान

नई दिल्ली। दिवाला एवं शोधन संहिता समेत सुधारों की श्रृंखला के क्रियान्वयन के परिणामस्वरूप छोटे निवेशकों के हितों की रक्षा के संदर्भ में भारत चौथे स्थान पर पहुंच गया है। विश्व बैंक की ‘कारोबार सुगमता रिपोर्ट/ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट में यह जानकारी दी गयी है। यह पहला मौका है जब भारत ने कारोबार सुगमता के किसी भी पैमाने पर शीर्ष पांच देशों में जगह सुरक्षित की है।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘भारत ने छोटे निवेशकों के हितों की सुरक्षा, ऋण उपलब्धता और विद्युत उपलब्धता के क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन किया है। देश के कंपनी कानून और प्रतिभूति नियमन को काफी उन्नत माना गया है। भारत को छोटे निवेशकों के हितों की रक्षा के पैमाने पर विश्व में चौथे स्थान पर रखा जा रहा है।’’ विश्व बैंक की हालिया ‘डूइंग बिजनेस 2018: रिफॉर्मिंग टू क्रियेट जॉब्स’ रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले एक साल के दौरान भारत ने सुधारों के 10 में से आठ क्षेत्रों में उल्लेखनीय बेहतर प्रदर्शन किया है।

यह रिपोर्ट दो जून 2016 से एक जून 2017 के दौरान दिल्ली एवं मुंबई में क्रियान्वयन में लाये गये सुधारों पर आधारित है। इस दौरान स्थायी खाता संख्या (पैन) और कर खाता संख्या (टैन) के आवेदनों को मिलाकर नयी दिल्ली में कारोबार की शुरुआत करने की प्रक्रिया तेज की गयी है। इसी तरह मुंबई में मूल्य वर्धित कर और पेशा कर के आवेदनों को मिलाकर कारोबार शुरू करना आसान किया गया है। इसके अलावा नयी दिल्ली नगर निगम और वृहन्न मुंबई नगर निगम में ऑनलाइन प्रणाली की शुरुआत कर भवन की मंजूरी के लिए आवश्यक प्रक्रियाओं की संख्या तथा समय में कमी लायी गयी है।

सीमा पार के व्यापार के संबंध में रिपोर्ट ने कहा है कि मुंबई में सीमा आयात प्रावधान के समय को 283 दिनों से कम कर अब 265 दिन कर दिया गया है। इसके अलावा व्यापारी विलंब शुल्क को समाप्त कर एवं इलेक्ट्रॉनिक तथा मोबाइल माध्यमों का इस्तेमाल बढ़ाकर दिल्ली एवं मुंबई में आयात-निर्यात संबंधी सीमा प्रावधान खर्च को भी कम किया गया है। राष्ट्रीय न्यायिक आंकड़ा ग्रिड पेशकर अनुबंधों पर अमल भी आसान किया गया है। इससे स्थानीय अदालतों में किसी मामले में प्रबंधित रिपोर्ट पेश कर पाना संभव हुआ है।

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