संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है। रिपोर्ट के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था में 2016-17 और 2017-18 दोनों साल में 7.6 प्रतिशत की वृद्धि दर बनी रहेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में सरंचनात्मक सुधारों के आगे बढ़ने से विनिर्माण आधार मजबूत हुआ है और निवेश गतिविधियां तेज हुई हैं।
- इसमें एशिया प्रशांत क्षेत्र की अविचल वृद्धि के लिये भारत और चीन के योगदान को अहम माना गया है।
- रिपोर्ट के अनुसार 2017 में चीन की आर्थिक वृद्धि दर मामूली कम होकर 6.4 प्रतिशत रह जाएगी।
- चीन में खपत, सेवाओं और उच्च मूल्यवर्धन गतिविधियों में संतुलन बिठाया जा रहा है।
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एशिया और प्रशांत क्षेत्र के संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (एसकेप) की वर्ष के अंत में जारी होने वाली एशिया-प्रशांत क्षेत्र-2016 आर्थिक और सामाजिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था में 2016-17 और 2017-18 दोनों वित्त वर्ष में 7.6 प्रतिशत की वृद्धि दर बने रहने का अनुमान है। रिपोर्ट में कहा गया है कि संरचनात्मक सुधारों के बल पर विनिर्माण आधार मजबूत होने और निवेश गतिविधियों के बढ़ने से 2017 में भारत की आर्थिक वृद्धि 7.6 प्रतिशत बने रहने की उम्मीद है।
- इसमें कहा गया है कि संरचनात्मक सुधारों से भारत में निजी निवेश को भी फायदा पहुंचने की उम्मीद है।
- हालांकि, अचल निवेश में कमी की वजह से भारत में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में वृद्धि कुछ नरम पड़ी, लेकिन इसमें तेजी की उम्मीद है।
- शुरू में सामान्य मानसून से कृषि गतिविधियों में तेजी आने से वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।
- इसके साथ ही सरकारी कर्मचारियों की वेतन वृद्धि से व्यापक आधार के साथ खपत भी बढ़ेगी।
- इसके बाद निजी क्षेत्र के निवेश में सुधार आने से वृद्धि और तेज होगी।
- देश में वस्तु एवं सेवाकर और दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता जैसे कानूनों के पारित होने से बेहतर निवेश माहौल बनेगा।
- ढांचागत परियोजनाओं में व्यय बढ़ने से निजी निवेश को समर्थन मिलेगा।
- ऐसे समय जब दुनिया की विकसित अर्थव्यवस्थाएं वृद्धि दर के लिए जीतोड़ कोशिश में लगी हैं भारत और चीन एशिया प्रशांत क्षेत्र के साथ-साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थायित्व के अगुवा बने हुए हैं।
- रिपोर्ट के मुताबिक चीन बजट से बाहर खर्च करने और परोक्ष गारंटी की पुरानी व्यवस्था से हट रहा है जबकि भारत पूरे देश में वस्तु एवं सेवाकर व्यवस्था को अमल में लाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।